अफगानिस्तान ज्ञानकोश (अ) ३०६ अफगानिस्तान मास बादसे लागू होगा। इसकी अवधि तीनः देश इन सबके लिवे अभी प्रस्तुत नहीं था । जनता वर्ष तक रहेगी। यदि समाप्त होनेके ६मास इनके विरुद्ध हो उठी। उधर सेनाका वेतन भी पहले इन दोनोंमे से कोई भी राज्य इसका तोड़ने | धनके प्रभावके कारण समय पर नहीं दिया जा की सूचना न दे तो ऐसी अवस्था में यह एक वर्ष रहा था। तक और लागू रहेगा। इसमें सन्देह नहीं कि ये सब सुधार देशके हितके कावुलमें अंग्रेजोंका एक राजदूत रहने लग | लिये ही किये जा रहे थे, किन्तु अभी इन सुधारों गया था। उसी भाँति काबुलकी ओरसे भी के लिये उपयुक्त अवसर न होनेके कारण अमीरके भारत. इङ्गलैण्ड तथा अन्य युरोपियन देशोंमें | मित्रोने उनको स्थगित करने अथवा शनैः शनैः प्रतिनिधि भेजे गये। उनका उपयोग करने की अनुमति दी। इतनाही इन सबसे निश्चिन्त होकर १९२७ ई०में अमीर नहीं अमोरको १६२३ ई० का भी ध्यान दिलाया अमानुल्लाखाँ ने भारत तथा योरपकी यात्रा गया। इसका शतांस भी नहीं किया गया था श्रारम्भ कर दी। इनके साथ इनका परिवार | किन्तु कितना भयंकर परिणाम हुआ था। सब तथा अनेक राज्य कर्मचारी भी थे। यह अभि- देखते सुनते हुए भी अमीरने इस ओर ध्यान नहीं लाषा थी तो इनके पिताकी भी, किन्तु हत्या हो | दिया। वह अपनी ही धुनसे मस्त था। धर्मके जाने के कारण पूरी न होसकी। इनका भारतमें नाम पर मुल्ला इत्यादि जो ढोग तथा अत्याचार बड़ा अच्छा स्वागत किया गया। यहाँसे यह करते थे वे इसे असह्य हो उठे थे। अन्तमें चारों योरपको गये। लन्दनमें यह राज-अतिथि होकर श्रोर फिर घोर अशान्ति मच उठी। इसी वर्ष रहे थे। इन्होंने योरपके मुख्य मुख्य सभी स्थानों मई मासमें गिलजई तथा खोस्तके मंगल जातिमें को भलीभाँति देखा। अन्तमें टर्कीसे सोवियट लाम मुल्लाने विद्रोहकी अग्नि भड़का दी। राज्य तथा ईरान होतेहुए यह अफगानिस्तानको मुल्लाओंका इस देशमे बड़ा प्रभाव है। अज्ञान लौट आये। जिन जिन देशोंमे गये थे वहाँके तथा अन्धकारके गट्टे में गिरी हुई जनता धमके राजाओंसे इन्होंने अनेक समझौते किये थे। वे नाम पर इन मुल्लाओंके लिये सब कुछ अर्पण कर सब घोषित करदिये गये तथा १९२८ ई की गर्मी | सकती है। इन सुधारोंसे मुल्लाओंकी झूठी में यह स्वदेश लौटे। इनके अनुपस्थिति देशमै सत्ता पर ही सबसे बड़ा धक्का लगता। इन्होकी पूर्णरूपम्मे शान्ति रही। इस यात्रासे अमानुल्ला- पोल सबसे अधिक खुलती। यही कारण था खाँके विचारों में घोर परिवर्तन होचुका था। | कि वे सब अमीरके सबसे बड़े बड़े शत्रु होगये योरपको सभ्यता तथा विकासका इनके हृदय पर | और जनता को उसके विरुद्ध उभाड़ने लगे। बहुत कुछ प्रभाव पड़ा था। अपने देशकी हीन अमीर भी इनका मर्दन करनेके लिये तुला बैठाथा। अवस्था पर इन्हें बड़ा दुःख होता था। राजनै अन्तमें १९२६ ईमें देशमें भयंकर क्रान्ति मव तिक तथा सामाजिक सुधारों के लिये इनका हृदय | उठी। बच्चा-ए-सका नामक एक नीच कुलके व्याकुल था। इन सबमें इनकी रानी को भी अफगानीने देशमे विद्रोहकी अग्नि भड़का दो। अत्यन्त सहानुभूनि थी। अपने देशमें स्त्रियोंकी सेनामें एक तो पहले ही से वेतन वाकी होनेसे गिरी हुई हीन अवस्था देखकर उस विदुषीका अशान्ति थी, इसके विद्रोहसे वे सब भी बिगड़ हृदय आर्द्र हो उठता था। सम्भव है यह इतनी उठे। फल ये हुआ कि बच्चा-ए-सक्काकी एकत्रित शीघ्रतासे इस कार्य में हाथ न डाल देते, किन्तु की हुई फौजने सरकारी फौजको कई बार टीमें कमालपाशा द्वारा जो जो सुधार इन्होंने हराया। विद्रोह दबानेके प्रयत्नमें अमोर पूर्ण देखे थे तथा जिस जागृतिका अनुभव उन्होंने वहाँ असफल रहा। संसारके अन्य भागोमें समाचार किया था उसके लिये इनका हृदय लालायित हो तथा संघाद इत्यादि भेजनेके साधनोका नाश कर रहा था। अतः इन्होंने पुराने आचार विचारों दिया गया था। अन्त में लाचार होकर आमीर की शृङ्खला तोड़कर बड़ी तीव्रतासे परिवर्तन तथा उसके कुलके लोगोंको काबुल भागकर कन्द- करना प्रारम्भ कर दिया। फरमान पर फरमान हार आना पड़ा। वहाँ भी सन्देह लगा हुश्रा जारी होने लगे। बिना देशी सहानुभूति प्राप्त था। अतः अमीर वहाँ से भी क्वेटा होते हुए किये अथवा स्थितिको भलीभाँति समझे ही इनके | बम्बई भाग कर आया। बम्बईसे वह योरप चल सुधार जनता पर बलात् लागू किये जाने लगे। दिया। कुछ मास तक बच्चा-ए सक्काके ही हाथ नये नये नियम बनाये जाने लगे। अभाग्यवश में शासनकी बागडोर रही। इस देशद्रोहीके
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