पृष्ठ:ज्ञानकोश भाग 1.pdf/३३४

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दूर पर हैं। अफगान तुर्किस्तान ज्ञानकोश (अ) ३११ अफगान तुर्किस्तान गान राज्यके ही आधीन हैं। इस प्रदेशका यह मिलाकर लगभग ७ लाखके होगी। किन्तु बदक- नाम बहुत पुराना नहीं है। यहाँ के रहनेवाले शानको निकाल देने पर भी ६ लाखसे कम नहीं अब भी इसको तुर्किस्तान कहते हैं। यहाँके होगी। यहाँ के सबसे पुराने निवासी ताजिक मुख्य मुख्य प्रान्त हैं—हैबकमजार, शरीफअकया, ही विदित होते हैं। कदाचित् ये ईरानके पूर्व शिवरधान, सीरीपुल, महमन, अण्डकुई, दारा निवासी होगे। खोस्त और कुन्दुजमें इनकी यूसुफ, बल्खाब तथा सानजचरक । बस्ती अधिक देख पड़ती है। उज़बकों की संख्या सीमा-इसके उत्तरमें बुखारा है, पूवमें भी यहाँ पर्याप्त है। उजवकोंके अतिरिक्त अन्य बदकशाँ पर्वत है। दक्षिणकी ओर भी इसी पर्वत तुर्क जातिके लोग भी यहाँ देख्न पड़ते हैं। यहाँ की श्रेणियों द्वारा यह काबुलसे अलग किया के कुछ दिवासी अपनेको अरबके रहने वाले हुआ है। नैऋत्य तथा पश्चिममें काबुलका अमि- बताते हैं। थोड़े बहुत यहूदी तथा हिन्दुस्तानी आन प्रदेश तथा हिरातका कुछ भाग है। नगर-इस प्रदेशमै नगर बहुत कम हैं। उनमें पैदावार तथा व्यापार-पहाड़ी प्रदेश अधिक होने से मुख्य नीचे दिये जाते हैं --अकया, मेमन, मजार के कारण यहाँकी पैदावार बहुत कम है। खनिज शरीफ़, हैबक, शिवरधन, सार-ए-बुल, अण्डकुई पदार्थों का भीअभी तक ठीक ठीक पता नहीं लगता। तथा खानबाद । ये सब नगर बड़ी दूर तक चारों व्यापार उद्योग भी यहाँ कोई विशेष नहीं है। बद- ओर फैले हुए हैं। इसका मुख्य कारण यह है कशानको सीमापर छाल ( Chal) के समीप कि यहाँ पर फलोंके बड़े बड़े बगीचे हैं जो दूर नमक पाया जाता है। थोड़ा बहुत उसका ही कारबार भी होता है। बदकशानके समीप पिस्ता इस प्रदेशके दो भाग किये जा सकते हैं- बहुत होता है। यहाँसे पिस्ता सारे भारत, (१) पहाड़ी प्रदेश तथा ( २ ) पर्वतके नीचेके | एशिया तथा योरप तक भेजा जाता है। फलो वे भाग जो आक्सस नदी तक समतल रूपसे को यहाँ बहुतायत है, तथा सारे संसार में प्रसिद्ध चला गया है। दक्षिणकी सीमा परके सब हैं। वल्ख और कुन्दुजसे फल बड़ी दूर दूर भेजे प्रदेश पहाड़ी ही हैं। पूरबमें हिन्दूकुश पर्वतकी | जाते हैं। अय तो उस उच्चकोटिको कालो भेड़ी वहुत ऊँची ऊँची चोटियाँ फैली हुई हैं। चर की खाल अन्धकुई में नहीं देख पड़ती, किन्तु कोह जो इसी पर्वतकी एक श्रेणी है, उसीके द्वारा जिस समय वह उन्नति के शिखर पर था यह उन्हीं यह प्रदेश बदकशाँ से विभक्त किया गया है। इसी खालोके लिये जिले 'अस्तरखाँ' भी कहते हैं, शाखाके समीपसे एक बहुत बड़ा पठार चला सारे जगतमें विख्यात था। यहाँ के ऊँठ भी गया है। यह पठार १४० मील लम्बा ८० मील विख्यात हैं। कुन्दुजके घोड़े जिन्हें काबुल कत- चौड़ा तथा ७००० से १०००० फीट ऊँचा है। घान' कहते हैं, बड़े उत्तम होते हैं। मैमना भी बल्खके दक्षिणमें हिन्दूकुश पर्वत फैला हुआ है। घोड़ोंके लिये प्रसिद्ध है। वहाँसे घोड़े भारत याकबलंगसे इसकी तीन शाखायें निकलती हैं। तक भेजे जाते हैं। यहाँ के ऊनी कपड़े, कम्बल, इन पहाड़ोंके विषय में बिल्कुल पता नहीं लग कालीन दूर दूर भेजो जाती हैं। इसका व्यापार सका है। फेरियरने अपनी १८४५ ई० की यात्रा तुर्की तथा जमशेदो स्त्रियोंके हाथमें है। पूर्वकाल में थोड़ा बहुत इनका वर्णन किया है। इन तीनो | में यहाँ दास क्रय-विक्रयको भी प्रथा बहुत थी, में बीच वाली श्रेणी ही सबसे ऊँची है। उसको | किन्तु सभ्यताके विकासके साथ साथ इसका चोटियाँ बर्फ से ढको रहती हैं । अन्य दो लोप होता जारहा है। चोटियाँ साधारण ऊँची हैं। प्राबहवा-समुद्रकी सतहसे ( Sea level) नदी-यहाँको सबसे मुख्य नदी आक्सस ही भिन्न भिन्न भागोंकी ऊँचाई में बलुत अन्तर होनेसे है। कुन्दुज इसको सबसे मुख्य शाखा है। यह तथा पहाड़ी देश होनेसे यहाँकी आबहवामें भी नदी जिन प्रदेशोंसे बहती है उसके विषयमें बहुत स्थान स्थान पर बहुत अन्तर देख पड़ता है। कम शान अब तक प्राप्त हो सका है। बल्ख और केवल इतना ही नहीं समुद्रसे दूर होने के कारण खुल्म नदी भी देशले होकर बहती है। अन्य | उसी कक्षामै बसे हुए अनेक देशोसे यहाँकी आब- प्रसिद्ध नदी मुर्गाब है जो कोहअवावासे निकल हवामें बहुत भेद देख पड़ता है। वर्षा यहाँ बहुधा कर बहती है। बसन्त ऋतुम ही अधिक होती है। शीतकालमें जनसंख्या-यहाँको जनसंख्या बद कशान को यहाँ बड़ी तीन सरदी पड़ती है। समधरातल