पृष्ठ:ज्ञानकोश भाग 1.pdf/३३५

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अफगान तुर्किस्तान ज्ञानकोश (अ) ३१२ अफगान तुकिस्तान प्रदेशों में ग्रीष्मऋतु में भारतके ही समान गर्मी भी भी इसपर अनेक आक्रमण समय समय पर होते पड़ती है।.. ग्रीष्म ऋतुम यहाँ एक प्रकारकी रहे।. इन अाक्रमणोंके बाद यह कभी भी उन्नति मक्खियाँ होती हैं। जिनसे बड़ा कष्ट पहुँचता | न कर सका, क्योंकि इन श्राक्रमणकारियों ने है। इनके दाँतोंमें विष होता है। कभी कभी केवल. देशको विजय करके ही नहीं छोड़ दिया तो इनके काटनेसे घोड़े तक मर जाते हैं। ऊँठो था किन्तु उसे पूरी तौर से लूट करके स्थान को भी ये हानि पहुँचाती हैं। बहुधा थे सेस्तितान स्थान पर आग लगा देते थे। अतः प्राचीन में ही होती हैं । पहाडी प्रदेशों में शीतकालमें बड़ी सभ्यताका कोई भी चिन्ह बाज नहीं देख पड़ता। तीव्र सरदी पड़ती है किन्तु ग्रीष्मऋतु में यहाँकी लगभग एक शताब्दी तक यह प्रान्त देहलीके श्रावहवा.बडो रोचक तथा उत्तम होती है । सदा मुगल सम्राटोंके हाथमें भी रहा । तदनन्तर शोतल वायु बहा करती है। . इसपर उजबकौका फिर प्रभुत्व हो गया। ईसा प्राचीन इतिहास-ऐसा अनुमान किया जाता है की १८ वीं शताब्दीमें यह प्रान्त अहमदशाह कि प्राचीन बल्ख अथवा वैक्ट्रिया मध्यएशियाकी दुर्रानीके हाथ आ गया था किन्तु इसकी मृत्युके सबसे प्राचीन राजधानी रही होगी, और. जर पश्चात् इसका पुत्र तैमूर इसे सम्हाल न सका, तुष्ट्र ( Zoroaster ) ने यहीं धर्मोपदेश किया था। और यह फिरसे उजबक सरदारोंके हाथमें आ धैक्ट्रिया अमीनियन सम्राज्य का एक मुख्य | गया। इन सयोंमें कुन्दुजके कठगान बहुत दिनों प्रान्त था और ईरानी वंशके लोग यहाँ पहले तक प्रधानत्व प्राप्त किये रहे। इनका सरदार रहते थे। ईसासे लगभग २५० वर्ष पूर्व बैक्ट्रिया मुरादबेग (.२८१५-१८४२ ई० तक) आक्सस नदी सिल्युकिड ( Seleucidae) के आधीन था। के पार कावुल तक तथा दक्षिणमें वल्खसे पामीर इस समय इस प्रान्तका अधिकारी थियोडोटस तक शासन करता रहा। था। उसने स्वतन्त्रताकी घोषणा कर दी। इसी किन्तु १८५० ई० से अफगानिस्तानने इन से ग्रीको-वैक्ट्रियन ( Greco-Bactrian ) नामक प्रदेशो पर विजय प्राप्त करना प्रारम्भ कर दी राजघरानेकी नींव पड़ो। चाहे यह जर्सीस और धीरे धीरे दस वर्ष (२८५8 ई० तक) इस का समकालीन रहा हो किन्तु किसी समयमें इस पर पूर्णरूपसे अधिकार प्राप्त कर लिया। १८७२ वंशका राज्य कच्छकी खाड़ी तथा जरक्सीसके व ७३ ई० में जो अफगानिस्तान तथा रूसमें पत्र राज्यको सीमा तक फैला हुआ था। लगभग व्यवहार चल रहा था उससे श्राक्सस नदी तक १२६ वर्ष ईसा पूर्व पार्थिया तथा अन्य अनेक अफगान राज्य समझा जाने लगा था। मध्य एशियाकी जातियों ने इस पर आक्रमण प्राचीन स्मारक यद्यपि यहाँ प्राचीन सभ्यता श्रारम्भ कर दिये, जिससे यूनानी शासनका अन्त बहुत दिनों तक थी तथा बौद्ध-कालमें यह उन्नति हो गया। उस समय आक्सस नदीको तरेटीमें | के शिखर पर पहुँचा हुआ था किन्तु चिङ्गेजखाँ अनेक राज्योंका प्रादुर्भाव हुआ। इनमेसे मुख्य तथा उसके बादके आततायियाने इस प्रदेशको युएची केशवंग, येथा. तुखारा, कुशन. हैथाला, बिल्कुल नाश कर डाला जिससे उस समयके हुण इत्यादि थे। इस समय यहाँ पर बौद्ध-धर्म | कोई स्मारक नहीं देख पड़ते। जो कुछ थोड़े का सबसे अधिक प्रचार था। बल्खमें एक बहुत बहुत उस समयके चिन्ह अथवा अवशेष देखें बड़ा. बौद्ध मठ था जो नव-विहार के नाम से पड़ते हैं उनमें सबसे मुख्य तथा महत्वकी बेनियम विख्यात है। इस समय वहाँ पर केवल एक की गुफाये हैं। सयदाबादके किलेका भी अवशेष छोटा सा देहात है। इस्लाम-विजयका वर्णन | मिलता है। हैवकमें भी अनेक प्राचीन गुफाये हैं । करने वाले अरब इतिहासकारोंने भी इसका वर्णन यद्यपि बल्खमें अभी तक तो कुछ भी नहीं मिला किया है। आज भी यह हिन्दू-धर्मकी उन्नति है किन्तु उसके इतिहास पर ध्यान देनेसे श्राशा का स्मारक है। नस्टाङ्ग नामक प्रसिद्ध चीनी की जाती है कि खुदाई होने पर यहाँ भी पुरानी यात्रीने कितने ही स्थानोंका वर्णन किया है और सभ्यताके अनेक चिन्ह प्राप्त होंगे । जनरल बुद्ध-धर्मका प्रचारः सर्वत्र सबसे अधिक बतलाता फेरियरने हजारा प्रान्तमें बड़ी कारीगरीके पत्थर है। हैयाला अथवा तुखारिस्तान जिससे मुस- के नमूने देखे थे। इन्हीं चट्टानों पर अनेक अन्य लमान भली भाँति परिचित थे, चिङ्गेजके श्राक महत्वकी चीजें भी देख पड़ती हैं। सारांश यह मणके समयमें अनेक अन्य छोटे मोटे राज्योंकी कि यद्यपि अभी तक विशेष चिन्ह तथा स्मारक भाँति सत्यानाश कर डाला गया। उसके बाद नहीं प्राप्त हो सके हैं किन्तु आशाकी जाती है कि