पृष्ठ:ज्ञानकोश भाग 1.pdf/३५

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। 1 अकलकोट ज्ञानकोश (अ) २५ अकलकोट श्रकलकोट:-बम्बई इलाकेका एक देशी राज्य | पक्षी नहीं मिलते। यह गज्य शालापूरक श्राग्नेय कोण में है। यहांकी श्राबादीमें हिन्दू, मुसलमान और इसाई गल्यका पोलिटिकल एजेन्ट शोलापुरका कलक्टर | जातिके लोग हैं । हिन्दूशाम ब्राह्मण, वैश्य, लिगां- ही होता है श्रकलकोट खासके अलावा इस | यत, मराठे, जुलाहे. गडेरिये पांचाल. चमार, राज्यमें मालशिरस ताल्लुकेके छ: गांव और खटाव | डोम इत्यादि जातियाँ हैं। जुलाहों की जनसंख्या ताल्लुके कुर्ला गांव है। इस राज्यमें कुल १०३ ६००० है जिसमें अधिकतर लिंगायत, पंचमसाली गांव (१ बड़ा और १०२ छोटे ) हैं। कुल क्षेत्र- 'और मुसलमान आदि हैं। फल ४६ वर्गमील है। इसमें कुल १३ वर्गमील पानी बहुधा कुओंसे पहुँचाया जाता । भूमि जंगल है। ३६ वर्गमील जमीन खेतीके योग्य नहीं | दो फसल देती है। खरीफ की फसल में बाजरा, है। जनसंख्या १८८१ ई० में ५८०४० थी, १८६१ अरहर और कपास मुख्य हैं और रबी में प्रायः में ७५७७४,१६०१ मैं ८२८४७,१८११ मैं ८६०८२ थी। ज्वार पैदा होती है। इसके अतिरिक्त धान,अलसी, १८४१ में कुल श्रामदनी २३५००० रु. थी। चना, गेहूँ और ऊख की भी खेती होती है। पहले १६०३-०४ ई० मे ४५०००० रु० थी। आजकल यहां राज्यके बगीचौमें नारियलके बहुत से वृक्ष पौने छः लाग्य है और अब जो बन्दोबस्त होने थे, परन्तु वर्षाके अभावसे वे नष्ट हो गये। कुछ वाला है, उसके मुताबिक पक लाग्य और बढ़नेकी गुजराती और मारवाड़ी वनिये तथा कुछ ब्राह्मण यहां महाजनी करते हैं। सीमा:-मालशिग्स और ग्वटाव ताल्लुकेके जी० आई०पी० रेलवे का १८ मील लम्बा सात गावोंके अलावा इसके उत्तर में निजामका रास्ता इस राज्यमे होकर गुजरा है । इस लाइन राज्य है। पूर्वमें पटवर्धनकी जागीर और निजाम | पर अक्कलकोट रोड स्टेशन है। यह अक्कलकोटसे राज्य; दक्षिणमें इन्दी ताल्लुका और निजामका सात मील दूर है । बीचकी सड़क उत्तम है। यहां का गल्य और पश्चिममें शोलापूर ताल्लुका है। से ज्वार, कपड़ा, पान, मिर्चा बाहर भेजी जाती श्रमालकोटका प्रदेश समुद्र-तलसे १२०० फुट है। अक्कलकोटके पासके निज़ामके प्रदेशमें पैदा ऊँचा है । भूमि चौरस और वृक्षरहित है। गावो होने वाला माल यहींसे बाहर भेजा जाता है। के चारों ओर केवल श्रामके वृक्ष हैं। इस राज्यको | यहाँ साड़ियां, खण्ड, साफेका कपड़ा और खादी सीमामे से होती हुई थोड़ी दूर तक भीमा और वगैरः कई किस्म के कपड़े तैयार होते हैं । शोलापूर सीमा नदियाँ बहती हैं। बार नदी इसी गजेटियरमें लिखा है कि इस राज्यमें लगभग राज्यसे बहती हुई भीमासे मिलती है। इसकी १२०० करघे हैं और प्रतिवर्ष पांच लाखका भाल एक शाखा हरिणी है। इस राज्यमें कुएँ अधिक तैयार होता है। होनेके कारण पानी हर एक जगह अधिकतासे १८६६ से १८७१ के दरमियान इस राज्य की मिलता है । नदीके तीर परकी जमीन काली और पैमाइश की गई थी। उस समय लगभग १२ आना बाकी जमीन हलकी काली है। कहीं कहीं की फी एकड़ लगान था। उसके बाद फिर जमीन की भिट्टी चूना मिधित है। कहीं भी ई बनाने लायक जाँच की गई और लगान ठहराया गया। उस मिट्टी नहीं मिलती। वर्षाके अन्तम हवा अस्वास्थ्य समय यह भी निश्चय किया गया था कि ३० साल कर होती है: आड़े और गरमीमें श्रावहवा अच्छी | तक इस लगानमें कुछ रद्दोबदल-न होगा। पहले रहती है। गरमीमें तापमान १०८ तक पहुँच कुछ जमीन परती पड़ी थी। परन्तु अाजकल सव जाता है; और जामें '६२ तक नीचे उतरता है। खेतीमें आगई है। कुछ थोड़ेसे परिवर्तनके साथ वर्षा लगभग ३० इंच होती है। १८८२ में २०००० | ब्रिटिश इंडियाके कानून यहाँ लागू है। राज्यमें एकड़ जमीन संरक्षित जंगलके रूपमें बचाकर एक दीवान. एक प्रधान विचार-पति, एक तह- रक्खी गई । शेषमै बबूल के निरिक्त और किसी सीलदार, दो चीफ मेडिकल आफिसर, स्टेट तरह के वृक्ष नहीं हैं। केवल कुर्लामें सागौन और श्रोवरसीयर, पुलिस इन्सपेक्टर, वाटरवसइंजि- चन्दनके पेड़ पाये जाते हैं। वाघ, चीता इत्यादि | नियर, हाई स्कूल के हेड मास्टर आदि प्रधान क्रूर पशु नहीं दिखाई पड़ते । कहीं कहीं लोमड़ियाँ अफसर हैं । गवर्नमेंट एडमिनिस्ट्रेटर का नया पद और भेड़िये नज़र आते हैं। सर्वसाधारण को कायम कर दीवान का कुल चार्ज उसीको वर्तमान शिकार करने की इजाजत नहीं है। इस कारण | महराजा को बाल्यावस्थाके कारण दे दिया गया हिरन वगैरह जंगलों में पाये जाते हैं। खाने लायक हैं। स्वयं राजा साहब को दीवानी, फौजदारी 2