पृष्ठ:ज्ञानकोश भाग 1.pdf/९०

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! अजन्ता ज्ञानकोश (अ)८० अजन्ता जंगलमें खोजते समय दमयन्तीको एक विशाल अजन्ता अथवा सह्याद्रि पर्वतकी एक मुख्य धाटी अजगरने निगलना शुरू किया। तब दमयन्तीने में हैं। यहाँ जानेके लिये जमनेर पांच लाइन बड़े ज़ोरसे चिल्लाना प्रारम्भ किया। उसके शब्द जी० आई० पी० रेलवे ) के पाचोग जंक्शन को सुनकर एक ब्याधने आकर उस अजगरको से पाहुन स्टेशन पर उतरना चाहिये। यह मार डाला और दमयन्तीको उससे मुक्त किया। जमनेरसे २५. मील है। यहाँसे २५ मील निज़ाम इससे स्पष्ट ज्ञात होता है कि अजगरोंका भय के राज्यमें होकर सड़कसे अजन्ता गाँव तक जाना हिन्दुस्तानमें प्राचीन कालसे ही है। पड़ता है। गाँवसे गुफा तक पहुँचनेके लिये अजन्ता पहाड़-बुलडाना जिलेके दक्षिणी | पर्वतकी तीन चार श्रेणियोको पार करना पड़ता प्रदेशमें अजन्ता पहाड़ फैला हुआ है। इसे है। गाँवसे गुफाकी दूरी भी लगभग तीन चार चांदोर, सातमाला, इनह्याद्रि सह्याद्रि श्रादि भिन्न मीलकी होगी। यह पहाड़ी रास्ता बहुत कुछ भिन्न नामोंसे पुकारते हैं। पश्चिमकी ओर जो ऊँचा नीचा टेढ़ा मेढ़ा और कष्टदायक है । गुफाके सह्याद्रि पर्वत है उनमें जैसे पत्थर मिलते हैं वैसे पासकी घाटी भयानकतथा बिल्कुल सुनसानमें है। ही इसमें भी मिलते हैं। नासिक जिलेमें मनमाड़ पर्वतकी शिखा पर पहले लेणापुर नामक एक के पाससे सह्याद्रि पर्वतसे यह श्रारम्भ होता है | गाँव था। वहाँ जाने के लिये गुफाओंके भीतरसे और पूर्व की ओर ५० मील तक फैला हुना है। सीढ़ियाँ खोदकर गस्ता बनाया गया था। प्राचीन औसत ऊँचाई ४००० फुट है, पर कहीं कहीं इससे कालमें ये गुफायें सड़क किनारे पर ही थी। भी ज्यादा है। इसमें एक जगह बहुत बड़ा दर्रा यहाँका प्राकृतिक बनदृश्य अत्यन्त मनोहर है। है जहाँसे होकर जी० आई० पी० रेलवे लाइन गई । ा एनसांग (चीनी यात्री) ने इन गुफाशीका है। मनमाडसे आगे अकईसे फिर इसका सिल- ' उल्लेख अपनी पुस्तकमें किया है किन्तु उसने स्वयं सिला शुरू होता है। आगे चलकर कासारीके स्थान नहीं देखे थे ( Stan. Julien Memo, पाससे इसकी एक शाखा और फूटती है जो ५० Sor, les cont Okvident IT 151) मील तक चली गयी है। वहाँ से यह बरार तक । उसके वर्णनसे ऐसा विदित होता है कि ये पहुँच गयी है। निजामके राज्यमै परभनी और गुफायें उस कालमें बौद्ध धर्मावलम्बियाका तीर्थ- निजामाबादमें भी यही पहाड़ है और वहाँ उसका स्थान था और सहयों मनुष्योंका आवागमन नाम सह्याद्रि है। ये पहाड़ दक्षिणके पठारकी लगा रहता था। आगे चलकर जब बौद्ध धर्म उत्तरी सीमा प्रतीत होते हैं। पहले गुजरात का धीरे धीरे ह्रास होने लगा तो इन स्थानोंका श्रथवा मालवाके व्यापार मनमाड़ और कासारी भी महत्व बहुत कुछ घट गया। धीरे धीरे वहाँ द से होते थे। सेना भी इन्हीं मार्गौसे आती ' की व्यवस्था भी खराब होने लगी और वहाँ जाती थी। अजन्ता इस समय निजामके राज्यमे जानेवाले यात्रियोको अड़ोस पड़ोसके जङ्गली है और वह बौद्ध कालीन पत्थरकी खुदाईका : तथा कर कोल भील लूट लिया करते थे तथा बहुत सा अवशेष है। इस पहाडमै जहाँ तहाँ उनको जङ्गली जानवरोंका भी भय रहता था । बहुतसे किले हैं। अतः यहाँकी श्रामदरफ्त क्रमशः घटने लगी और. ॐचे शिखर-मारकिंदकी (मार्कण्डेय ) ऊँचाई । यह स्थान उजाड़ होने लगा। यही स्थिति ४३८४ फीट है । ८० ई० में राजा लोग यहाँ रहते १८२१ ई. तक रही। उसके बाद ईस्ट इण्डिया थे। यह बागलाना जानेके मार्ग पर स्थित है। कम्पनीके कालमै मद्रासके कर्मचारियोंको उस इसी मार्ग पर सप्तभंग नामकी श्रेणी है जिसको प्रान्तके निवासियोंसे इन गुफाओंका पता चला। ऊँचाई ४६५६ फीट है। धोडप-इस पहाड़ यद्यपि मार्गमै हर प्रकार की असुविधा और अनेक का सर्वोच्च शिखर है ( ४७३२ फीट ) और-तुद्रई भयकी आशंका थी तो भी सर जेम्स अलेक्जेण्डर (Sir James Alexander) ने इस सबकी पर- श्राइने अकबरीमें इसका उल्लेख हुअा है। वाह न करके वहाँको यात्राकी और वहाँ सकुशल उसमे इसका नाम सहिया वा सहसा मिलता है । | पहुँच गया। उन गुफाओको देखकर उनके • अजन्ता गुफायें-ये प्राचीन स्मारक निज़ाम आश्चर्यकी सीमा न रही । वहाँसे लौटकर उन्होंने के राज्यमे हैं। उ० अ० २०२५ से पू० देशां। इसकी चारों और प्रसिद्धि करना प्रारम्भ कर दी। ७६१२ में स्थित है। गुफायें फर्दापुरसे १८४६ ई० से १८५५ ई. तक में कोर्ट दक्षिण पश्चिमकी ओर साढ़े तीन मील पर श्राफ डाइरेक्टर्सने मेजर विलको यहाँके चित्रोंका १५२६ फीट है 1