पृष्ठ:ज्ञानकोश भाग 1.pdf/९२

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. । अजन्ता ज्ञानकोश (अ)८१ अजन्ता उतारने के लिये भेजा था। १८७४ ई. तक सामने एक दालान है। दोनों ओर तथा भीतर उसने सब गुफाओका ठीक ठीक निरीक्षण करके | की तरफ़ कोठरी है। इसके खम्भों पर तथा बहुतसे चित्र भी उनके बना लिये थे। उन भीतर दीवारों पर उच्चकोटिकी नक्काशी और गुफाओंमें खिड़कियाँ तथा द्वार बनाने का भी। पञ्चीकारी की हुई है। बुद्धदेवके चरित्रके कुछ प्रयत्न किया गया था, किन्तु उसमें सफलता नहीं चित्र भी अंकित हैं। अन्दर और भी बहुतसे । अब भी वहाँ सफाई का काम होता रहता है। चित्र भिन्न भिन्न वीस विषयोंके दिये सब गुफायें मिलाकर २६ हैं उनमेंसे दो अधूरी इसमें ईरानसे आये हुए राजदूतोको भी दिखाया है। रह गई हैं । एक में तो जानेके रास्ता बड़ा बीहड़ गुफा नं० २-यह भी पहलीकी तरह एक है और दूसरीके लिये रास्ता ही नहीं है। इन विहार है। बहुत सी खुदाईका काम किया हुश्रा है गुफाओंमें नम्बर पड़े हुए हैं। इनमें से पाँच (६, और लगभग ३८ चित्र हैं। १०, १६, २६, २७) चैत्य (बौद्ध मन्दिर) हैं। गुफा नं० ३–यह गुफा नं०२ के थोड़ी ऊपर इनके आकार बाहरसे लम्बे तथा भीतरसे चन्द्रा- बनी । यह असमाप्त ही छोड़ दी गई है। कार हैं। बीचमें खंभोकी दो पंक्तियां हैं। सामने गुफा नं. ४---यह सबसे बड़ा विहार है। के भाग की ऊँचाई कम है। इनकी दीवारोमें एक खुदाईका थोड़ासा काम भी इसमें किया हुआ है से तीन तक दरवाजे तथा दो दो खिड़कियाँ हैं। किन्तु चित्र अधूरा एक ही है। कुछ के आगे दालान है और उन पर बड़ी बड़ी गुफा नं. ५-इसका भी काम अधूरा ही है छते हैं। बाकी गुफायें बौद्धविहारके रूपमें है। | थोड़ी बहुत खुदाई का काम किया हुआ है। यह बहुधा ये चौकोनी हैं। उनमें अगल बगल कोठ. भी एक विहार है। रियाँ है । इनमें भी खंभे हैं । बौद्धकी मूर्तियां इन गुफा नं० ६-यह दो मंजिला विहार है और बहुत सी है। सबसे पीछेका बना हुआ मालूम होता है। खुदाई कुछ गुफायें अधूरी रह गई हैं किन्तु केवल का काम और कुछ रंगीन चित्र का काम इसमें एकको छोड़कर बाकी सबमें चित्र अङ्कित किये किया हुआ है। ये गुफायें ई० पू० २०० से २०० ई० गुफा नं. ७-उपरोक्त विहारोले इसकी शैली तक (अर्थात् १००० वर्ष ) भिन्न भिन्न समयमै भिन्न है। इसमें सिंहासनारूढ़ शाक्य मुनिकी बनाई गई होगी। कुछ गुफाओमें शिलालेख भी मूर्ति है और उसके चारो ओर खुदाईकी काम की मिलते हैं किन्तु उनसे कुछ विशेष पता नहीं हुई अन्य मूर्तियाँ है। रंगीन चित्र भी हैं। चलता। इन चित्रोंके देखनेसे तथा उनपर विशेष । गुफा नं०८-यह बिहार सबसे प्राचीन है। ध्यान देनेसे तीसरीसे आठवीं शताब्दी तकके कदाचित् यह ई० चू० १०५ में बना होगा। इसके भारतकी रहन-सहन तथा उसकी सभ्यताका बहुत सामनेका भाग गिर चुका है। भीतर दो ( गर्भ- कुछ ज्ञान हो सकता है। इन चित्रोंमें तत्कालीन : गृह ) कोठरियाँ हैं जिनमें मूर्तियाँ नहीं है। राजा रानी, मन्त्री, सेवकगण, किसान, सैनिक गुफा नं०९-यह भी ई० पू० पहली शताब्दीका तथा कारीगर तत्कालीन पोशाक पहने हुए दिखाये निर्माण किया हुआ चैत्य है। इसमें स्तूप तथा गये हैं। और भी अनेक भिन्न विषयक चित्र थोड़ा बहुत खुदाईका काम है । वादके बनाये हुए दिये हुए हैं जिनसे उस समयके धार्मिक तथा ५ रंगीन चित्र भी इसमें हैं। सामाजिक विचारोंका बहुत कुछ ज्ञान होता है। गुफा नं० १०-यह चैत्य ई० पू० २रो शताब्दी कलाकी दृष्टिसे ये चित्र अद्वितीय हैं। ग्रिफिथ का बना हुआ है। इन गुफाओंमें यह सबसे साहवका कथन है कि भावोंका ऐसा समावेश तो प्राचीन है। इसमें स्तूप बना हुआ है तथा शायद संसारके किसीही चित्रालयमें देखनेको मिले। वासिष्टिपुत्र का एक शिलालेख है। इसमें चारों गुफा नं० १--यह एक विहार है और इसके और चित्र बने हुए हैं और कुछ लिखे हुए अक्षर ॐ इसने ३० बड़े बड़े चित्र खींचकर लंडन भेजे थे। देख पड़ते हैं। उनमेंसे २५ सिद्धनहेमके स्फटिक मन्दिरमें रक्खे हुए हैं। गुफा नं०११-इस विहारके दोनों ओर दो १८६६ ई० के भीषण अग्निकाण्डमें ये सब जलकर खाक कोठरियाँ हैं। दालानके बीच बुद्ध तथा किसी हो गये । Mrs. Speir's Ancient India नामकी | मनुष्यकी एक एक मूर्ति बनी हुई है। इसके पुस्तकमें कुछ खुदाईके कामके नमूने तो अवश्य दिये हुए हैं अन्दरकी कोठरीमें चित्र हैं तो अवश्य, किन्तु वे किन्तु गिलके चित्र इत्यादि का कोई उल्लेख नहीं मिलता। खराब हो गये हैं। -