अजमोढ़ ज्ञानकोप (अ) ८५ अजमेर-मेरवाड़ा सेवाकी सच्ची लगनके कारण यह शीघ्र ही एक २८५५ फीट ऊँचा है। अजमेर पहाड़ी तथा प्रधान नेता बन गये किन्तु देशके अभाग्यसे यह पठार पर बसा है और ये पठार सारे भारतमें शीघ्र ही परलोक-गामी हुए। बहुत ऊँचे हैं। इस प्रांत में बड़ी बड़ी नदियां नहीं अजमीढ़-(१) पुरुवंशोत्पन्ना सुहोवाको हैं। यहाँके अनासागर तलाबके समीपके पहाड़ ऐक्ष्वाकीसे तीन पुत्र उत्पन्न हुए । उनमेसे से साबरमती नदी निकलती है। पुष्करके अति- ज्येष्ठ अजमीढ़ था। उसके तीन स्त्रियाँ थीं रिक्त यहाँ कोई दूसरा ताल उल्लेखनीय नहीं है। जिनसे उसे ६ लड़के हुए। बड़ी रानी धूमिनीसे | अजमेर प्रान्तमें नेत्रोंको सुख देनेवाले प्राकृतिक ऋक्ष नामक पुत्र उत्पन्न हुआ। नीली नामकी दृश्य बहुत कम दिखाई देते हैं। परन्तु अजमेर दूसरी रानीसे दुष्यन्त तथा, परमेष्टी, और तीसरी ! शहरमें यह बात नहीं है। यहाँ पर वर्षाऋतु रानी केशिनीसे जन्हु उत्पन्न हुए। इन्होंने ही प्रारंभ होते ही सारे पहाड़ हरी साड़ी पहने हुए गंगा-प्राशन किया था। (आदिपर्व अ६४) मालूम पड़ते हैं और सूर्यास्तका दृश्य देखने ही (२) हस्तिनापुर वसानेवाले सोमवंशोद्भव योग्य होता है । राजपुतानेकी मुख्य वनस्पतियां हस्तिके पौत्र विकुंठनाके पुत्र थे । इनकी चार अरवली पर्वतके पूरबमें मिलती हैं। यहां पर विशेष रानियाँ था-(१) कैकेयी (२) गांधारी (३) र फलदार वृक्षोंमें अनार तथा अमरूद सब विशाला तथा (४) ऋक्षा। इन चारोंसे मिला- कर चौबीस पुत्र हुए। ऋक्षाका पुत्र संवरण | स्थानों में अधिक संख्यामे दिखाई देते हैं। वंश-संस्थापक था। मेरबाड़में शेर कभी कभी दिखाई देता है (३) अजमीढ़ द्विमीढ़ तथा पुरुमीढ़ हस्तीनरके परन्तु चीते तथा लोमड़ियां बहुत हैं। उसी पुत्र थे। अजमीढ़से कण्व उत्पन्न हुए हैं। उनसे प्रकार बनसूअर, भेड़िया, नीलगाय अजमेर में कारवायन ब्राह्मण उत्पन्न हुए । अजमीढ़के मिलती हैं। लोगोको उनका शिकार करने का वृहदिषु ऋक्ष नामक दूसरे पुत्रसे संवरण हुए | अच्छा शौक है । थे। संवरणके पुत्र कुरुने ही कुरुक्षेत्र नामक यहांकी वायु स्वास्थ्यकर है, गरमीमें हवा सूखी धर्मक्षेत्रकी योजना की थी ( विष्णुपुराण ४-१३) और गरम होती है परन्तु जाड़ेमें वह ठंडी तथा (४) भरद्वाजके पुत्र मन्यु हुए। मन्युको | उत्साहन्दायक होती है। साधारणतः अजमेरका बृहत्क्षत्र हुये । इनके पुत्र हस्तीको अजमीढ़ तापमान जनवरी महीने में ५४, मईमें 8१५॥ हुए। यह परंपरा भागवतपुराण (६-२६-३०) जुलाईमें ८४६ तथा नवम्बरमें ६७ रहा में मिलती है किन्तु अन्यपुराणों में भिन्न है। अज करता है । १८६१ ई० में यहाँ वर्षाका मान मीढ़ के वंशज भी अजमीढ़ के नामसे प्रसिद्ध हुए। लगभग २१२ था। कुछ लोगोका विचार है कि अजमेर-मेरवाड़ा-उत्तर अक्षांश २५ २५ से चौहान धरानेके राजपूत राजा अजने अजमेरका २६४२ तक और पूर्व देशांतर ७३°४५ से ७५२४ तारागढ़ नामक किला १४५ ई० में बनवाया था। यह राजपूतानेके बीचमें एक ब्रिटिश परन्तु अन्य इतिहासकारोंका मत है कि अजय सूबा है। राजपुतानेका पोलिटिकल एजन्ट यहाँ तथा अज ११०० ई० में हो गये हैं। प्रथम अज का कमिश्नर है। अजमेर और मारवाड़ मिलाकर उसके बाद अजय और उसके पश्चात् अर्णोराजा यह प्रान्त बनाया गया है। सिंहासन पर बैठा। उसका पुत्र विग्रहराज जो अजमेरके उत्तरमें जोधपुर, दक्षिणमें उदयपुर विशालदेवके नामसे प्रसिद्ध है गद्दीपर बैठा। ११६२ पूरबमें जैपुर तथा पश्चिममें जोधपुर है। मारवाड़ | ई०मैं विशालदेवका नाती पृथ्वीराज गद्दी पर था। के उत्तरमें भी जोधपुर और अजमेर है दक्षिणमे मुहम्मदगोरीने उसको पराजित करके उसे अपने उदयपुर, पूरबमें अजमेर तथा उदयपुर और अधिकारमै कर लिया। तत्पश्चात् उसके चाचा पश्चिममें जोधपुर है। यहाँका क्षेत्रफल २७११ | हरिराजने स्वयं गद्दी छीन ली। परन्तु गोरीके वर्गमील है और १६०१ की जनसंख्या ५०१३६५ | सूवेदार कुतुबुद्दीनके बराबर कष्ट देते रहने के और २६२८-२४ ई. ४६५२७२ थी। इसमें से कारण उसने शीघ्र ही श्रात्महत्या कर ली। २६६५६६ पुरुष और २२५७०५ स्त्रियाँ थीं। अनेक राज्योंके छिन्न भिन्न और रक्तपात होनेके अजमेरका बहुतसा भाग रेतीला है और पश्चात् अंतमें मारवाड़के मालदेव राठौरके हाथमें कहीं कहीं पहाड़ी है। अजमेरके समीप यह प्रांतको चला गया। पश्चात् अकबर बादशाहने वह पहाड़ जिसपर तारागढ़ है समुद्रको सतहसे यह प्रांत अपने राज्यका एक सूबा बनाया । १७२१ तक।
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