पृष्ठ:तसव्वुफ और सूफीमत.pdf/१८

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तसव्वुफ अथवा सूफीमत १. उद्भव सूफीमतं के उद्धव के संबंध में विद्वानों में गहरा मतभेद है। यह मतभेद सूफीमत के दार्शनिक पक्ष की गहरी छान-बीन का फल नहीं है। मत तो किसी पासना, भावना या धारणा की संरक्षा अथवा उसके उच्छेद के प्रयत्न का परिणाम होता है। अतः जो लोग उसके मर्म से परिचित होना चाहें उन्हें सर्वप्रथम उसके (१) सूफी शब्द को व्युत्पत्ति के विषय में भी अनेक मत है। कुछ लोगों की धारणा है कि मदीना में मसजिद के सामने एक सुफ्फा ( चबूतरा ) था। उसी पर जो फकीर बैटते थे वे गूफी कहलाए। दूसरे लोगों का कहना है कि सूफी शब्द के मूल में सफ ( पंक्ति) है। निर्णय के दिन जो लोग अपने सदाचार एवं व्यवहार के कारण औरों से अलग एक पंक्ति में खड़े किए जायेंगे वास्तव में उन्हीं को सूफी कहते हैं । तीसरे दल का कथन है कि सूफी वस्तुतः स्वच्छ और पवित्र होते हैं। सफा होने के कारण उनको सूफी कहते है। चौथे दल के विचार में सूफी शब्द सोफिया (शान ) का रूपांतर है। शान के कारण ही उनको सूफी कहा जाता है। पर अधिकतर विद्वानों का मत है कि सूफी शब्द वास्तव में सूफ ( ऊन ) से बना है। सूफबारी ही वास्तव में सूफी के नाम से ख्यात हुए । निकल्सन, ग्राउन, मारगोलियथ प्रभृति विद्वानों ने सिद्ध कर दिया है कि वास्तव में सूफी शब्द सूफ से बना है। अनेक मुसलिम प्रालिमों ने भी इसे स्वीकार किया है। अस्तु, हमको यही व्युत्पत्ति मान्य । बपतिस्मा देनेवाला जान या यूहन्ना भी सूफयारी था, पर अब सूफी का प्रयोग मुसलिम संत या फकीर के लिये ही नियत सा समझा जाता है।