पृष्ठ:तसव्वुफ और सूफीमत.pdf/२३७

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1 तसन्युफ अथवा सूफीमत की 1 कोई कुछ भी कहे, पर यूरोप का इतिहास इसे भुला नहीं सकता । फिरंगी इसको अस्वीकार कर नहीं सकते। उनमें से अधिकांश इसे मानते भी खूब है मुहम्मद साहब के निधन के उपरान्त सहसा इसलाम स्पेन तक छा गया और मसोही उसके विरोध तथा यूरसेलम की संरक्षा में जी-जान से लग गए । 'कूसेड' शब्द आज भी उसकी याद दिलाता है। वस्तुतः स्पेन, सिसत्नी और क्रूमेड ही वे मार्ग हैं जिनके द्वारा तसव्वुफ यूरोप में प्रविष्ट हुअा और मसीही संघ पर अपनी छाप छोड़ गश । पोषों के प्रकोप, पादरियों की संकीर्णता एवं प्रचारकों की वंचना से जिस समय यूनानी दर्शन का लोप हो चला था और मसीही संघ पारस्परिक संघर्ष में पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा की मनमानी व्याख्या में मग्न था और अपने आपको परमेश्वर के लाइले एकाकी पुत्र का भक्त समझता था उस समय सूफियों के नूर ने ही मसीहियों को बह प्रकाश दिखाया जिसको भूल जाने के कारण उसी की खोज में वे परस्पर भिड़ रहे थे और अपने को इतने पर भी धन्य ही समझते थे। कहना न होगा कि मसीही मत का वास्तविक उत्कर्ष इसलाम के अपकर्ष के साथ हुआ। जब पारस्परिक विद्रोह और भोग-विलास की प्रचुरता के कारण इस- लाम जर्जर और शरर्ण हो गया तत्र यूरोप का सितारा चमका और मसोहियों ने अपनी चमक-दमक से जग को मोह लिया। तसव्वुफ का प्रधान लक्षण प्रेम अथवा मादनभाव ही है । अतः सर्व-प्रथम हमें यह देख लेना है कि मसीहियों पर उसका प्रभाव क्या पड़ा । सृमियों के अालंबन के विषय में हम बहुत कुछ जानते हैं । यहाँ कुछ मसीहियों के आलंबन के विषय में भी विचार कर लेना चाहिए। श्री लूबा' का निष्कर्ष है कि रति के भूखे प्राणियों ने मसीह या मरियम को अपना पालंबन बनाया । पुरुष ने कुमारी मरियम को और स्त्री ने मसीह को अपना आलंबन चुना । विचारणीय बात यहाँ यह है कि परम प्रचारक पौनुस ने तो केवल संस्था को दुलहिन और मसीह को पति कहा था किन्तु कुमारी मरियम का प्रवेश मसीही साधना में कैसे हो गया। यदि यह एक (१) दी सारकालोजो प्राव रेनिजल मिस्टीसीम, ५० १९३ ।