पृष्ठ:तसव्वुफ और सूफीमत.pdf/२५३

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ससम्वुफ अथवा सूफीमत के आधार पर बसु महोदय ने स्पष्ट कर दिया है कि वास्तव में पणि का ही दूसरा नाम मोनीशी है। उनका कहना है कि कोचबिहार से जाकर पणि जाति ने शाम के किनारे अपना अधिकार जमाया और व्यापार के लिये स्पेन को भारत से मिला लिया। मौलाना सुलैमान साहब का दावा है कि मोनीशी अरब थे जो शाम के नट पर जा बसे थे। डांट महोदय का, शामी कथानकों के आधार पर, निष्कर्ष है कि प्राचीन सभ्यता का केन्द्र कहीं बंग के पास पास था और ईडेन' भारत में था। कुरान में कहा गया है कि अल्लाह ने कृष्ण पंक की सूखी मिट्टी से आदम को बनाया। मतलब यह कि भारत श्रादम का जन्मस्थान हो सकता है और पणि जाति से उनका संबंध भी स्थापित किया जा सकता है। उनके विषय में जी कुछ कहा गया है वह अच्छी तरह पणि जाति में घट जाता है। हिन्दुओं की दृष्टि में मक्के में महादेव जी का मन्दिर था और काबे में आज भी शिवलिंग मौजूद है। बेल महोदय का कथन है कि हिन्द शब्द का प्रयोग ग्रीक तथा लैंटिन भाषा में इतना अस्थिर और संदिग्ध होता रहा है कि उससे भारत, दक्षिण अरब, अबी- सीनिया था एशिया के किसी तट का निश्चित बोध नहीं होता। प्रायः उसका तात्पर्य (१) दी सोशल हिस्टरी आव कामरूप, प्रथम भाग, द्वितीय अध्याय । (२) परिण व्यापारजीवी थे। परिणीशिग्भवति पणिः पणनावाणिक पण्यं भक्ति (निरुक्त २. ५. ३) (३) अरष और हिन्दुस्तान के तानुकात, पृ. ७ । (४)दी सेंटर श्राव ऐशियंट सिविलो तेशन, पृ० १५७ । (५) दो एसाइक्लोपीडिया बार इसलाम, प्रथम भाग, पृ० २१७ । (६) श्रीशानेन्द्रदेव सूफी ने इस संबंध में 'विशाल भारत' में एक लेख लिखा था सो संदिग्ध प्रतीत होता है। परंतु श्री खुदाबख्श की प्रसिद्ध पुस्तक कंट्रीब्यूशन टू दी हिस्टरी आव इसलामिक सिविलीशन, पृ० ४८ पर इसका उल्लेख है। और इस देश में जवाद भी ऐसा ही प्रचलित है (७) दी ओरिजिन भाव इसलाम, पृ. ३१ । .....