पृष्ठ:तसव्वुफ और सूफीमत.pdf/२६०

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परिशिष्ट २ 1 उपनिषदों का निर्देश है । हमारी समझ में कुरान में जो इस प्रकार के भाव आते हैं कि जिधर देखो उधर अल्लाह है, वह हमारे निकटतम है, व्यापक है, अंतर्यामी है,आदि वे सब उपनिषदों के प्रसव है । कारण, इस प्रकार की भावना सर्वथा अशामी है शामियों में अन्दाह का उदय एक सेनानी अथवा शासक के रूप में हुश्रा, विश्वात्मा एवं व्यापक रुप में कदापि नहीं । कतिपय मनीषियों ने माना है कि मुहम्मद साहब हेरा की गुहा में योग-संपादन में मग्न थे और कतिपय योग-मुद्राओं से परिचित भी थे।मका की भाँति प्रसिद्ध व्यापार-केन्द्र में भारतीय पदार्थों के साथ ही साथ भारतीय भावोंका व्यापार संगत और स्वाभाविक प्रतीत है। हो सकता है कि कुरान का लुकमान भारतीय हो ; क्योंकि उसका रूप-रंग सर्वथा भारतीय है, यूनानी या मिस्त्री नहीं । प्रसंगवश इतना और निवेदन कर देना है कि इसलामी पंडितों के सामने कुरान में वर्णित 'हनी' और 'शेबी' जातियों का विकट प्रश्न बराबर बना रहा है वस्तुतः मुहम्मद साहब के मत का इन जातियों से गहरा संबंध है। उनके मत को अनेक बार हनीफी मत कहा गया है। शेबी व्यापारी थे, स्नान के लिये प्रसिद्ध थे, बलय पहनते थे, कपाल और नक्षत्रों की पूजा करते थे, शिर पर मुकुट धारण करते तथा सुन्दर भवनों में रहते थे। उनका मत नूह का मत कहा जाता था । नूह का संबंध दक्षिण के त्रोणीपुरम् से जोड़ा जाता है। फिर भी सहसा यह नहीं कहा जा सकता कि हनीफ एवं शेबी जातियों का भारत में कुछ संबंध है। हनीफ का परिण और शेयी का शव से साम्य दिखाई पड़ता है। हनीफ और शेबी तटवासी अरब थे जो मध्य के अरबों से सर्वथा भिन्न थे। प्राची में तो भारतीयों के अनेक उपनिवेश थे परन्तु प्रतीची में उनका उल्लेख प्रायः नहीं मिलता। सिकंदरिया में भारतीयों का एक छोटा सा उपनिवेश था। 1 (१) उपनिपा और कुरान के इस संबंध पर स्वतंत्र विचार 'मुसलमानों की संस्कृत- सेवा में किया जायगा । स्मरण रहे कि हिदा नाम की देश की रानी ने अपने राज्य में एक मह बनवाया था। (२) स्टडीज इन टैमिल लिटरेचर एण्ड हिस्टरी, पृ० ८५ । (३) इंडिया ओल्ड एण्ड न्यू, पृ० १२३ ।