पृष्ठ:तसव्वुफ और सूफीमत.pdf/३१

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तसव्वुफ अथवा सूफीमत अपनी शक्ति में कमी देख मनुष्य जिस देवता की कल्पना करता है उसकी शक्ति अपार होती है। फलतः देवता जिस व्यक्ति पर कृपालु होता है उसमें असंभव को संभव करने की क्षमता आ जाती है। उक्त नबियों पर देवता की कृपा थी हो । जनता उनके पीछे लगी फिरती थीं। लोग उनको अपना दुखड़ा सुनाते और उन्हें उपहार से लादते रहते थे। धनी-मानी भी उनकी शरण में जाते थे। पानी बरसाने, उपज बढ़ाने, रोगी को अच्छा करने क्या मृतक को जिला देने तक की क्षमता उनमें मानी जाती थी। करासत से वे जनता में अपनी धाक जमाए रहते थे और कभी कमी राजकीय आंदोलनों में भी योग देते थे। उनका रहन-सहन सामान्य न था। उनकी निराली चाल-ढाल तथा विलक्षण वेश-भूषा हंसी की चीज होती थी। वे नग्न या अर्धनग्न रहते और झुंड में चला करते थे। कभी कभी उनकी संख्या ४०० तक पहुँच जाती थी। उनकी मंडली में किसी संपन्न व्यक्ति का शामिल होना आश्चर्य की बात समझी जाती थी। उनमें एक मुखिया होता था जिसका आदेश सभी मानते थे। उसकी आज्ञा के पालन और सेवा शुश्रूषा में लोग इतना तत्पर रहते थे कि उसकी मंडलीवाले उसके लिए किसी भी गर्हित काम के करने में संकोच नहीं करते थे। संक्षेप में वह उनका गुरु या मुरशिद था । उनमें पीरी मुरीदी की प्रतिष्ठा थी। उक्त नथियों के अतिरिक्त कुछ महानुभाव ऐसे भी थे जिनको लोग काहिन या रोह कहने थे। नबी उल्लास एवं भावावेशवाला भक्त होता था। वह जनता में बहुत कुछ अलौकिक रूप में प्रतिष्ठित रहता था। परंतु काहिंन उससे सर्वथा भिन्न एक. विचक्षण व्यक्ति माना जाता था। लोग उसके पास भविष्य की चिंता में जाते थे। उससे शुभाशुभ और कुशल-मंगल के प्रश्न करते थे। जो बातें उनकी समझ में नहीं आती थीं उनका रहस्य वे उससे जानना चाहते थे। वह भी शकुन-विचार में मग्न रहता था। स्वप्न तथा अन्य बाह्य लक्षणों के आधार पर वह अपनी सम्मति देता (१) इसराएल, पृ०. ४४६ । (२) इसराएल, पृ० ४२२-३; ए, हि. श्राव हे० सिविलोजेशन, पृ. १३६; रेलिजन आव दी हेज, पृ० ७५,१२१ ।