पृष्ठ:तसव्वुफ और सूफीमत.pdf/४०

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विकास २३ पुस्तक में संगीत-प्रिय नबियों की कमी नहीं। एलीशा को यहोवा को प्रसन्नता के लिये उसके मंदिर में संगीत का विधान करना पड़ा। दाऊद यहोवा के संपुट के सामने नाचता था । स्त्रियों संगीत के साथ वीरों का स्वागत करती थीं । इबानी शब्द हग ( उत्सव ) का अर्थ भी नाच होता है । प्रेमगीत का प्रधान बाजा उगाव था जिसका धात्वर्थ उत्कंठिन करना होता है। प्रेम और प्रणय के गीत के साथ ही साथ सुरा के भी गीत गाये जाते थे। इस प्रकार उनमें प्रम, संगीत और सुरा का प्रचार था । यसश्रिया में प्राचीन नबियों का उल्लास था। वह तीन वर्ष तक यरुशलेम में नग्न भ्रमगा करता रहा । उसने प्रतीक का प्रयोग कर मादन-भाव को प्रोत्साहित किया। एक महाशय की दृष्टि में तो उसने 'अहं ब्रह्मास्मि' की घोषणा कर अद्वय का प्रतिपादन किया । सचमुच ही उसके गान में वेदना है, करुणा है, कामुकता है। संक्षेप में वह अंशतः सूकी है। उसके अतिरिक्त अन्य नबियों में भी हाल, इलहाम और करामत की पूरी प्रतिष्ठा थी । वहश की आज्ञा का पालन मार्तड तक करता था। तात्पर्य यह कि मादन-भाव के अन्य अवयवों का भी प्राभास प्राचीन धर्म- पुस्तक में बराबर मिलता है । यहोवा के उपासकों में भी मादन-भाव का कुछ न कुछ अंश अवश्य था, जो अवसर पाकर अपना पूरा रंग दिखा जाता था। मसीह के आविर्भाव से शामी जातियों में निवृत्ति-मार्ग की प्रतिष्ठा हुई। मसीह (१) इसराएल, १० २७५ । (२) समूएल, दूसरी ६.१४ । (३) प्रायः लोगों को धारणा है कि यहोवा की उपासना में प्रतिमा या प्रतीक की प्रतिष्ठा न थी, किन्तु खोज से पता चलता है कि यहोया का प्रतीक एक सम्पुट में रखा जाता था और लोग उसे संग्राम में भी साथ रखते थे। इस दृष्टि से उसकी उपासना शालिग्राम की उपासना के तुल्य थी। दी रे० भाव दो हे , पृ० १२, १४; इसराएल पृ. ४२७। (४) ए हि०आव हेव ,सि०,पृ० ३२३,३२७; दी रे० आव दी हेग , पृ० १७० । (५) यश अ, ८-१८,२६, १०१२-१३ ।