पृष्ठ:तसव्वुफ और सूफीमत.pdf/८१

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तसव्वुफ अथवा सूफीमत साहब की वास्तविक धारणा का पता लगाना कुछ कठिन हो गया है। कुरान के अर्थ अस्थिर और संदिग्ध हो गए हैं। अभिधा से अधिक लक्षणा एवं व्यंजना पर ध्यान दिया जाता है । यही कारण है कि इसलाम में अल्लाह के स्वरूप को लेकर जो प्रश्न उठे उनका समुचित समाधान न हो सका । 'नजसीम', 'तशबीह', तानीन' एवं 'तंजीह' की कल्पना अलग अलग एक ही कुरान के आधार पर चल पड़ी। तजसीम ही कुरान का वास्तविक पक्ष जान पड़ता है। ईमान का सम्बन्ध उभि अधिक है। तशवीह, तातील एवं तंजीह की शरण तो किसी जिज्ञासा या संशय के निराकरण के लिये ली गई। वास्तव में अल्लाह की साकार सत्ता ही इसलाम का शासन करती आ रही है । कुरान में अन्लाह को साकार सत्ता का इतना विशद वर्णन है, उसके सिंहासन का . इतना. भव्य चित्रण है कि उसके अंग अंग से अलाह के साकार स्वरूप का द्योतन होता है। उसके सिंहासन का जितना सजीव चित्रण है, उम पर उसके विराजने का जैसा विशद वर्णन है, उसके आधार पर यह कहने में तनिक भी संकोच नहीं होता कि कुरान का निर्माता अल्लाह के अलौकिक साकार स्वरूप का भक्त है। कुरान में अलाह के हाथ, पैर, नेत्र आदि का वर्णन है । अल्लाह का मुख ही कुरान का शाश्वत द्रव्य है। हदीस है कि मुहम्मद साहब को अल्लाह का साक्षात्कार किसी किशोर के रूप में हुआ। यदि अादम अल्लाह के प्रतिरूप थे और उनमें अल्लाह ने अपनी रूह की थी तो अल्लाह के साकार स्वरूप में किसको आपत्ति हो सकती हैं ? वह भी उस समय जब इसलाम के सच्चे प्राचार्य उसका समर्थन करते आ रहे है और प्रारम्भ में शामी जातियों के उपास्य और उपासक में वंशगत सम्बन्ध भी था। दोनों का कुल एकही माना जाता था। शासन की दृष्टि से अल्लाह यहोवा का समकक्ष है। कुरान में अल्लाह की शक्ति असीम, अथाह और अनंत है। वह कर्ता, भर्ता, हर्ता सभी कुछ है । उसकी इच्छा मात्र से सृष्टि का उदय और संचालन हो रहा है। मनुष्य पर उसकी कृपा इतनी अवश्य है कि वह अपने दूतों को भेजता और उसके लिये किताबें रच देता है, ---.. (१) स्टडीज इन इसलामिक मिस्टोसीम, पृ० १७ ।