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तिलिस्माती मुँदरी


और उसका जाल ऐसे तौर से फैला हुआ था कि जो चीज़ छज्जे से गिरे उसी के अन्दर आ जावे। पर जो उसने पानी में आवाज़ सुनी आहिस्ता से जाल खींचना शुरू किया और थोड़े ही अर्से में तैरती हुई राजा की लड़की को कश्ती पर लाकर उसमें बैठा लिया और वहां से चुपके ही नाव को अपनी झोपड़ी तक ले जाकर लड़की को उसके अन्दर पहुंचा दिया। उसे वह एक छोटे से कोठे में ले गया जहाँ कि एक आराम का बिस्तर उसके लिए सजा हुआ था और जहाँ कि तोता और दोनों कौए पहले ही से पहुंच गये थे। यह वफ़ादार चिड़ियां अंधेरे में राजा की लड़की के साथ छज्जे तक आई थीं और जब उन्होंने देख लिया कि लड़की कश्ती में साफ़ पहुंच गई वह वहां से उड़ कर माहीगीर की झोपड़ी में आ गई थीं। राजा की लड़की फ़ौरन बिस्तर पर चली गई क्योंकि उसके कपड़े सब भीग गये थे और ज्यों ही वह विस्तर पर पहुंची माहीगीर उसके वास्ते एक रिकाबी में कुछ रोटी और मछली खाने को ले आया जिसमें से थोड़ी आप खा कर और थोड़ी सी अपनी तीनों चिड़ियों को दे कर राजा की लड़की सो रही।


अध्याय ४

सुबह को माहीगीर राजा की लड़की को झोपड़ी में बन्द छोड़ मछली पकड़ने चला गया और कौए महल की तरफ़ को यह देखने कि वहां क्या हो रहा है, उड़ दिये। वहां उन्होंने देखा कि बड़ी दौड़ धूप मच रही है। राजा की लड़की के मरने की खबर फैल गई है, बड़ा मातम हो रहा है और लाश को नदी में प्रवाह देने के लिये तैयारियां हो रही हैं।