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तिलिस्माती मुँदरी


वह वहां से उड़ कर फिर झोंपड़ी पर आये और तोता लड़की से कहने लगा “ऐ मेरी प्यारी, अब तू यहां बेखटके रह सकती है जब तक कि हमको कोई मौक़ा तेरे नाना के पास भाग चलने का न मिले, क्योंकि रानी ने यही समझा है कि तू पानी में डूब गई, और माहीगीर का हम पूरा ऐतिबार कर सकते हैं"। जब कि तोता यह कह रहा था माहीगीर मय एक टोकरी मछलियों के आ पहुंचा। उनमें से उसने अच्छी २ राजा की लड़की के लिये छांट ली और बाकी लेकर शहर में बेचने को चला गया। मछलियों के बेचने से जो दाम उसे मिले उनसे उसने खाने की दूसरी चीजें खरीदी और राजा की लड़की के वास्ते सादा लिबास बनाने के लिये कुछ कपड़ा मोल लिया।

पहली रानी ने लड़की को सीना पिरोना सिखा दिया था, इससे उसने थोड़े ही अर्से में एक साफ़ पोशाक अपने लिए तैयार कर ली जैसी कि ग़रीबों के बालक पहना करते हैं, क्योंकि बुड्ढे माहीगीर और तोते ने सोचा कि ग़रीबी लिबास में वह ज़ियादा बचाव से रहेगी। उन्होंने उससे यह भी कह दिया कि तू घर के भीतर ही रह जिससे कोई तुझे देख और पहचान न सके। लेकिन माहीगीर के झोपड़े के पिछवाड़े एक छोटा सा बाग़चा था जिसमें उसे जाने की इजाज़त थी। वह अपना वक्त घर का काम काज करने, जालों की मरम्मत करने (जो कि उसे माहीगीर ने सिखा दिया था) और चिड़ियों के साथ खेलने में बिताने लगी। हर रोज़ माहीगीर मछली पकड़ने जाता था और जो दाम उसे उनके बेचने से मिलता था उससे घर के लिए ज़रूरत की चीजे मोल ले आता था। यों हर बात में उनका गुज़र कुछ दिनों तक अच्छी तरह चला। लेकिन जब उमदा मछलियों का