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तिलिस्माती मुँदरी


भेजूंगा और यह भी पुछवाऊंगा कि तेरा नाना तेरे लिये क्या चाहता है"। राजा की लड़की ने कहा “अच्छा" और दूसरे रोज़ सवेरे ही एक ख़त लिख कर तोते के हाथ दिया। तोते ने उसे कौओं के हवाले किया और ताकीद कर दी कि बहुत जल्द उसे गंगोत्री पर जाके बुड्ढ़े योगी को दें और उसका जवाब लावें। बुड्ढ़ा योगी अपनी दोहती के बाबत सचमुच, बहुत फ़िक्रमन्द हो रहा था और चाहता था कि किसी तरह उसकी खबर मिले कि एक रोज़ शाम को दोनों कौए उसे नज़र आये और उन्होंने उसे लड़की की चिट्ठी दी। योगी ने पढ़ कर उसका जवाब लिख दिया। और कौए अपनी थकावट दूर करने को वहां एक दिन ठहर कर लाहौर की जानिब को फिर उड़ दिये और सीधे उन दोनों लड़कियों के रहने के कमरे के अंदर दाख़िल हुए। योगी की चिट्ठी यह थी-

"मेरी प्यारी दोहती, तुझे मैं ने कभी नहीं देखा लेकिन तेरी मां के इस दुनिया से चले जाने से मैं तुझे दुचंद प्यार करता हूं। मुझे बड़ी खुशी हुई कि तू इतनी तकलीफ़ो और ख़तरों के बाद खुशहाल है और नेक शख्सों के साथ है। तेरे लिये शायद यही बिहतर होगा कि तू अपनी नौ-उम्र सहेली के साथ जहां अब है वहीं रहे। लेकिन अगर कभी कोई बात ऐसी हो जावे कि जिससे तू वहां न रह सके और जिसमें तुझे तेरा वफ़ादार तोता सलाह और मदद न दे सके तो मेरे पास फ़ौरन फिर ख़बर भेजना"।

दोनों लड़कियां बड़ी खुशी से एक साथ रहने लगी और दोनों में बहुत मुहब्बत हो गई। कोतवाल और उसकी बीबी को भी लड़की का असली हाल मालूम हो गया कि वह एक राजा की बेटी है और वह उसके साथ निहायत मिहर्बानी और इज्ज़त से पेश आने लगे। लेकिन उन्होंने दोनों लड़कियों