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तिलिस्माती मुँदरी


"आप मुझे क्या इनाम देंगे अगर मैं आप को एक हज़ार अशर्फी की कीमत की छिपी हुई लौंडी का पता बता दूं"? उसने कहा “अगर तू ऐसा कर सकती है तो तू छोड़ दी जायगी और १० अशर्फी इनाम पाएगी लेकिन अगर तू ने मुझे धोखा दिया तो तेरे पैर के तलुओं पर इतने चाबुक पड़ेंगे कि तू चलने और खड़ी होने के काम की न रहेगी"-वह बोली, "मंजूर, लेकिन देर न कीजिये, मेरे साथ चलिये और अपने साथ एक सिड्ढी, इतनी लम्बी जितनी कि यह रस्सी की सिड्ढी है, लेते चलिये; मैं आप के हवाले उस लौंडी को कर दूंगी जिसे कोतवाल इतना चाहता है और जो हज़ार अशर्फी से कम दाम की नहीं है"-दारोग़ा ने फ़ौरन दो तीन सिपाही मय एक सिड्ढी के लौंडी के साथ किये, और वह उन्हें मीनार की जड़ पर ले गई। उस पर सिड्ढी लगाई गई और एक सिपाही ऊपर चढ़ गया, लेकिन कोठड़ी को उसने खाली पाया, राजा की लड़की का वहां नामोनिशान भी न था, सिर्फ कुछ असबाब था जो कि दयादेई ने उसके आराम के लिये पहुंचा दिया था और कुछ कपड़े की धज्जियां पड़ी हुई थीं जो कई जगह खून से सनी थीं। ये चीज़ वह आदमी नीचे ले आया और खंडहरों में लड़की को हर जगह तलाश कर नाकामयाब हो, वह लोग दारोग़ा के पास वापस गये। दारोग़ा निहायत गुस्सा हुआ और लौंडी को उसे धोखा देने के वास्ते उसके पैर के तलुओं पर कोड़ों की मार लगाने का हुक्म दिया। लेकिन वह ज़ोर से कहने लगो कि-"मैंने धेाखा नहीं दिया है, अगर कोतवाल के घर की तलाशी फिर ली जायगी तो तोते वाली लौंडी वहां ज़रूर मिलेगी, क्योंकि इतने थोड़े वक्त में वह दूर नहीं भाग सकती, ज़रूर उसी के यहां फ़िर आ गई होगी, चाहे जिस तरह से वह खंडहर से निकल गई हो”। जिस वक्त कि यह सब हो रहा था, राजा