पृष्ठ:तुलसी की जीवन-भूमि.pdf/१०३

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+ ६२ तुलसी की जीवन-भूमि घटना कैसी कुछ भी घटी हो पर पकड़ की बात है केवल अयोध्याकांड का पूरा बच रहना जो किसी प्रकार संभव नहीं दिखाई देता । स्मरण रखने की बात यह जनश्रुति की है कि इसके सभी पन्ने अलग अलग हैं। असंभावना : अतएव इसकी संभावना कैसे की जाय कि वीच में होने के कारण इसका एक कांड घच गया ? पानी में नीचे का भाग पहले डूबता है। साँची पन्ने काठ की पट्टियों के बीच में वेठन से बँधे रहते हैं। अतः किसी ग्रंथ का सर्वथा जलमग्न होना कठिन होता है। हम जानना चाहते हैं कि क्या उक्त तुलसी-हस्तलिखित कांड में कोई भी चिन्ह ऐसा है जिससे हम उसे अलग एक स्वतंत्र कांड न मान किसी 'संपूर्ण' ग्रंथ का अंग मानें ? हमारी समझ में तो सभी दृष्टियों से उसकी वैज्ञानिक परीक्षा होनी चाहिए । कारण यह कि अँगरेजी शासन के पहले कहीं उसका कोई उल्लेख नहीं । हाँ, यहाँ प्रसंगवश बता देने की बात है कि भाग्यवश हमारे सामने 'रामचरितमानस' की पुरानी राजापुर फा सतकांड . छपी एक ऐसी पुस्तक भी है जिसकी भूमिका है- पहिले यही पोथी बहुत दफे छप चुकी है सो सब पोथी ग्राहकों के पास है सो सब पोथी प्रायः सर्वत्र पाठ बनाया औ चौपाई कमती औ क्षेपक का कुछ विवेक नहीं है ॥ यह सव दोप युक्त पोथी हर दफे अधिक अधिक प्रसंग दे को छापे वालो ने छापा किया है | यह सब प्रसंग के जाननेवाले लोगों के कहते सुना है कि छापे की पोथी कुछ काम की नहीं है सो यह पोथी बहुत तल्लास करने से भरतपुर के राज्य में कायस्थकुलकमलप्रकाशक लाला सूरजमल माथुर कायस्थ पाठ