पृष्ठ:तुलसी की जीवन-भूमि.pdf/१०८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

राजापुर के तुलसीदास ६७ . . अतएव जिन कारणों से लोग राजापुर को इनका जन्मस्थान होना बताते हैं उनसे यह यात प्रमाणित नहीं होती। परन्तु राजापुर गोस्वामी जी को अपनाने की चेष्टा में बहुत तत्पर है । बहुत लोगों को निज पक्ष का प्रतिपादक बनाता जाता है और उसने अपने निकटवर्ती खटवार ग्राम निवासी बलदेव कवि से अपने माहाल्य की कविता में अपने यहाँ यमुना के तट पर गोस्वामी जी का 'भागार' होना कहलवाया है । [श्रीगोस्वामी तुलसीदास, पृष्ठ ५ ] इतना ही नहीं अपितु और भी मजे की बात तो यह है कि खटवारा की .राजापुर. के एक . नवीन खोजी श्री खानि अयोध्याप्रसाद पांडेय जी की खोज में- अभी हाल ही में प्रांस खटवारा निवासी श्री बलदेवप्रसाद नी कृत कानूनगोय कायस्थ बंशावली' में भी दुवों का वर्णन है। इस ग्रंथ के अनुसार तुलसीदास जी की अनेक पीढ़ियों पूर्व दुवे लोग भी कायस्थों के साथ राजापुर आए थे और राजापुर के सवाईनाले में आवाद हुए राय मनोहर के फछु दिन मेंह क्रम ते दुई सुत जाए। हेमराय अरु खेमराय हैं, प्रभु तेहि तेज बढ़ाए । ते दोउ बन्धु बघेल राज संग देश गहोरा आए । बसे। सवाईनाल यमुन तट, देहली पति बुलवाए । हेमराय जगदीशं कृपा ते, सनद शाह ते पाए । तेहि अवसर चौदह परगन के कानूनगोय कहाए ।। तब ते.मेरे पितामह लगि कोउ भूप भयो जोइ जोई । शाह सुरफी बुन्देल अँगरेजहु, दिए सनद सोइ सोई ।। . X संग द्विवेदी ब्राह्मण आए, कायस्थन के भायं कहाए । 9