पृष्ठ:तुलसी की जीवन-भूमि.pdf/१०९

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एस गुरासी की जीवन-भूमि देगराय की अपीदियों के पापार महामा रामसीदास जी के समय में पायस्य सुगम श्यामनुम्बा जी सपाट भायर के फानूनगो तथा तुलसीदास जी के शिष्य थे और सम्मान में उन्हें गुलसीदास जी की सेपा के दिए नियुक्त किया था। मुना यंश अब श्यामगुन्दर फे, कानूनगोय गो अफयर । रहे. तागु गु गुलसीदागा, रामायण जिन्दकीन प्रकारा। [जन-भारती, भाग १, पृष्ट ४५-५.] किंतु 'राजापुर' के दुर्भाग्य से 'श्रयेलयंशागमनिर्देश' की साखी इसके अनुकूल नहीं। इसके रचयिता श्री युगलदास को असफा पता नहीं। हाँ, उसका निवेदन अवश्य है- देश गुजरात ते नरेश संग आए, यहाँ पुस्ति बहु तिन्हें पीस फॉलो गिनाइये। नगिंद मे दीवान भति मतियान सास-- फलम मुवंश राय तिनयो गुनाइये । स्टल्लू सास फलम कमाए नाम मंगाराम भूपति मनीत गा मान्यो गो जनाइये । फायय प्रसिद्ध गाधु मुगति अगाध जानु वंश गिरिधारी लाल नाम जागु गाइये ।। [भक्तमाला, पृष्ठ ११५७] वार्य तो यह देखकर होता है कि श्री बलदेवप्रसाद जी को इतिहास का इतना पोध भी नहीं कि शाह सुरफी' के बाद और 'धुन्देल' के पहले वहाँ किसी मुगल और पठान का भी शासन था अथवा नहीं । हाँ, उन्हें इतना पता अवश्य है कि 'तुलसीदास' श्यामसुंदर के गुरु थे और श्यामसुंदर थे अकबर के कानूनगो । हो सकता है। परंतु कोई कह तो दे कि उसके पास इसका कोई .