पृष्ठ:तुलसी की जीवन-भूमि.pdf/१२५

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. तुलसी की जीवन-भूमि कोसल देस उनागर फीनौ का अर्थ ही भासता है कि 'कोसल देस' में जन्म लेकर तुलसी ने उसे धन्य कर दिया। फिर भी तुलसी के जीवन-वृत्त' के अध्ययन में उसकी भरपूर उपेक्षाकी गई है और तुलसी- जन्मस्थान की ऊहा दास का घर ढूँढ़ा गया है कहीं प्रयाग के उधरही। देखिए न, कहना डा० गुप्त ही का है। कहते हैं सभी को एक साथ एकत्र समेटते हुए- कुछ दिनों पहले तक हाजीपुर, तारी तथा राजापुर ही अलग- अलग हमारे कवि के जन्म स्थान होने का दावा करते थे, इधर एक और स्थान इस संबंध में भागे आया है। वह है सोरों। चित्रकूट के समीपस्थ हाजीपुर का उल्लेख पहले-पहल विल्सन ने किसी जन-श्रुति के आधार पर किया था। उसके अनंतर तासी ने भी विल्सन के ही आधार पर उसको उनका जन्म स्थान मानां । तारी का उल्लेख भी कदाचित् जन- श्रुति के अतिरिक्त किसी और आधार पर नहीं किया गया है। राजापुर और सोरों के पक्ष में अलग-अलग जो प्रमाण दिए जाते हैं, उनका निरी- क्षण नीचे किया जाएगा । किंतु जैसा हम देखेंगे, इनमें से भी किसी के पक्ष में इस प्रकार के साक्ष्य प्राप्त नहीं हैं जो सर्वथा निर्णयात्मक हों। यह अवश्य है कि प्राप्त साक्ष्यों के अनुसार अन्य समस्त स्थानों की अपेक्षा राजापुर के पक्ष में संभावना अधिक है। [ तुलसीदास, तृ० सं०, पृष्ठ १४१-२] 'राजापुर के पक्ष में संभावना अधिक भले ही न हो पर पक्ष तो पुष्ट आज उसी का समझा जा रहा है राजापुर का पक्ष न १ समझ में नहीं आता कि राजापुर की सामग्री की खरी परीक्षा क्यों नहीं की जाती । उदाहरण के लिए श्री अयोध्याप्रसाद पांडे के इस कथन को लीजिए । आप पूर्ण विश्वास के साथ कहते हैं-