पृष्ठ:तुलसी की जीवन-भूमि.pdf/१५१

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१४१ घेरती- . तुलसी का जन्मस्थान फपीस के कुंड में सिवारूँ, तुम्हारा तन की बने न ईधन । तुम्हारी आसक्ति .: हृदय हमारा मन्चा के दौरा...: अवध की भूमी:.. तुम्हीं तो त्रेता के सोमवट हो, तुम्ही हो द्वापर के वंशीवट भी, तुम्हीं बने फलि में बोध 'बिरवा ..वो मानसी वट यहाँ प्रकट भी। तुम्ही अक्षयवट तुम्ही अचल. बट तुम्ही हो कैलास तरु मुकट मी.। तुम्ही हो नटराज बट बपुष में । तुम्ही मेकलसुता के तट भी। तुम्हारा गुन गावे साई मोहेन । बनेगा जब तक अंजल का कौरा ॥६ अवध की भूमी... [माधुरी, वर्ष १४, खंड '२, सं० ३, पृष्ठ ३६४-५] अवधवासी लाला'सीताराम ने न जाने किस आधार पर गीतकार मोहन साई' को 'एक मुसलमान फकीर' मान लिया है। हमारी समझ में तो यह 'साई-मत' के प्रव- मोहन साई तक संत मोहन साई ही हैं। इनकी रच- नाओं को सरसरी दृष्टि से देखने का सौभाग्य, इस जन को इस संप्रदाय की प्रसिद्ध गद्दी बनउर (सुल्तानपुर) के महंत के पास मिला था। उस समय कुछ उतार भी लिया गया था। किन्तु असावधानी के कारण आज .