पृष्ठ:तुलसी की जीवन-भूमि.pdf/१६७

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१६४ तुलसी की जीवन-भूमि तो इस उल्लेख में 'लगभग' की आवश्यकता न पड़ती। जिस जीवन- चरित का उन्होंने इस प्रसंग में उल्लेख किया है, उसे उन्होंने. कदाचित् देखा भी था, क्योंकि उससे उन्होंने एक उद्धरण अन्यन्न दिया है। इसलिए यह स्पष्ट है कि सेंगर महोदय ने यह तिथि या तो किसी जनश्रुति के आधार पर दी है, या किसी अनुमान के आधार पर। फिर भी यह तिथि किसी प्रकार असंभव नहीं कही जा सकती, क्योंकि इसके संबंध में उस प्रकार की कोई कठिनाइयाँ नहीं हैं जिस प्रकार की उपयुक्त अन्य दो तिथियों-सं० १५५४ तथा सं० १६०० के संबंध में हैं। ६. श्री ग्रियर्सन, संभवतः जनश्रुति की अपेक्षा किसी दृढ़तर प्रमाण पर, लिखते हैं: सब से अधिक विश्वस्त विवरणों से यह बात प्रकट होती है कि कवि का जन्म सं० १५८६ में हुआ था। ७. इस तिथि के लिए एक महत्त्वपूर्ण समर्थन हाथरस वाले तुलसी साहिव के आरमोल्लेख में मिलता है जब वे कहते हैं कि अपने पूर्व जन्म में जय उन्होंने 'शमचरितमानस' की रचना की थी---उनका जन्म सं० १५८९, भादौं सुदी ११, मंगलवार को हुआ था। यह तिथि गंणना से शुद्ध उतरती है, और ऊपर जैसा हम इस 'आत्मचरित' के संबंध में देख चुके हैं, यह अधिकांश में संभवतः किसी प्राचीन स्वतंत्र और निरपेक्ष परंपरा के साक्ष्य के आधार पर लिखा गया है, फिर इस तिथि को मानने में कोई असंभावना भी नहीं दिखाई पड़ती, इसलिए इस तिथि को हम कवि की जन्म-तिथि के रूप में ग्रहण कर सकते हैं। [ तुलसीदास, तृ० सं०, पृष्ठ १३६-४०] तात्पर्य यह कि कोई चाहे तो सं० १५८३ को भी तुलसीदास की जन्म-तिथि मान सकता है अन्यथा • संवत् १५८३ का डा माताप्रसाद गुप्त को मान्य है संक महत्व १५८६ ही।