पृष्ठ:तुलसी की जीवन-भूमि.pdf/१६९

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१६६ तुलसी की जीवन-भूमि (३) बुअद खैर वाकी चू साले विनायश; भयां शुद कि गुफ़तम बुझ्द र वाकी । (अनुवाद) (१) बाबर बादशाह की आज्ञा से, जिसके न्याय की ध्वजा आकाश तक पहुंची है।

(२) नेकदिल मोर पाको ने फरिश्तों के उतरने के लिये यह

स्थान बनवाया है। (३) उसकी कृपा सदा बनी रहे। बुअद खैर वाकी- इसी के टुकड़ों से इसी इमारत के बनाने का दर्प ७३५ हिजरी भी निकल माता है। यह तो रहा 'मसजिद के भीतरवाला लेख' और यह है 'मस- जिद के फाटक पर का लेख- (१) बनामे भांकि दाना हस्त अकवर; कि खालिक जुमला मालम ला-मकानी । (२) दरुदै मुस्तफा वादज़ सतायश; कि सरवर अंबियाए दो जहानी । (३) फिसाना दर जहाँ वावर कलन्दर ; कि शुदं दर दौरे गेती कामरानी। (अनुवाद) (१) उस परमात्मा के नाम से जो महान् और बुद्धिमान है, जो संपूर्ण जगत का सृष्टिकर्ता तथा स्वयं निवास-रहित है। (२) उसकी स्तुति के बाद मुस्तफा की तारीफ है। जो दोनों जहान तथा पैगंवरों के सरदार हैं। (३) संसार में बाबर और कलन्दर की कथा प्रसिद्ध है जिससे. उसे संसार चक्र में सफलता प्रात हुई है। साथ ही यही इतना और भी पढ़ लें कि-