पृष्ठ:तुलसी की जीवन-भूमि.pdf/१८७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

हुआ होगा। १८४ तुलसी की जीवन-भूमि में मर गया था । तुलसीदास का विवाह अनुमान से पचीस वर्ष की अवस्था में [तुलसीदास और उनकी कविता, पृष्ठ १३४-५ ] 'सोरों' की प्रसिद्धि अथवा कहीं की अनुश्रुति वा जनश्रुति के सहारे तुलसी के जीवन में प्रवेश पाना कितना कठिन हो गया है, इसको कहने की आवश्यकता नहीं। हुलसी तुलसी ने स्वयं अपने विषय में जो कुछ कहा है उससे कुछ बन सके तो अच्छा, अन्यथा तुलसी का अध्ययन तो है ही। किंतु तो भी कुछ जन- श्रुतियाँ इतनी पुरानी पड़ चुकी हैं कि उनकी अवहेलना सर्वथा अमान्य समझी जायगी। अतः उनका भी ध्यान रखना ही होगा । निदान हुलसी की जिज्ञासा है। सो 'हुलसी' तुलसी की माता का नाम कहा जाता अवश्य है । कब से इसकी प्रसिद्धि है, यह कहना सुलभ नहीं। प्रत्यक्ष इतना अवश्य है कि रहीम के कथन से यह सिद्ध ही है कि 'तुलसी' आदर्श पुरुष का नाम है। तुलसी ने 'सुरतिय, नरतिय, नागतिय' को एक करके देखा था और सबकी एक ही कामना का उल्लेख किया था। 'अस चाहत्त सब कोय' से यह आप ही स्फुट है। तुलसी का संकेत क्या था, इसे कौन कहे ? परंतु कौन नहीं कहता कि रहीम ने क्या कहा ? सच है, कहते हैं रहीम ने स्पष्ट कहा- गोद लिए हुलसी फिरें तुलसी सो सुत हो । 'फिरें' के 'विशेषण' के रूप में तो 'हुलसी' को देखा नहीं जाता। हाँ, 'फिरें' का 'कर्ता' हुलसी को अवश्य समझ लिया जाता है। प्रश्न उठता है, फिर इसका अर्थ क्या होगा? क्या 'हुलसी' की 'गोद में 'तुलसी' हैं ? कहाँ की बात १ यह तो किसी