पृष्ठ:तुलसी की जीवन-भूमि.pdf/२२१

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तुस्यों की जोगन-भूमि निटांग - गुपन दुगन दलि भुगन में, अगर मिसा मगाने है । राणि परमेनुर है, माल कीग गफ गुण, नालियन माला-मुल होदए। माल जी सादि फस्ती जर गयी, नेशन नयी पर मांग को भायी है। ऐर मरे मेल-में फोन कर पेंट रानी, जगप्रसिद्ध मरजाद फोन नाल्यो । जान जहाँगीर देखि पार सन फार उठी गाउँ-गारि सारश गो मातु या माश्या है। बिट्टलेस के सपूत गोरंग के गुलाग, मालमालित मला फार में न राज्यौ है ॥ गए फसगार न मगीर-गीत गयी म दौर और परमी मार और पारावार लो। साटिर उमराव टाः मुनत है, देगी मात फी गोकुलेरा सी बार ली। फट तेन माला सारी, माल न तिलक टारों, जगा 'प्रसिद्ध उन टारी तन डार लो। तेही छन फारति घरनि च और फिरी, जाद देवलोक फिर पंठिगी पतार लौं। साहि सराहिं फही रतियाँ, छतियों में गही रिस उसस्थी ना । फंट ते माल दिखाइ के याहि तो न लजों न बजाइ फरपी ना । ऐसी सभा में प्रभा भनके मुख, परम धुरंधर जीय टत्यो ना। गोकुलनाथ जू टॅफ ते जग मांश प्रसिद्ध' नु नैफ टरयो मा || [पोद्दार अभिनंदन-ग्रंथ, पृ० ३०६-८]