पृष्ठ:तुलसी की जीवन-भूमि.pdf/२६३

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२६० तुलसी की जीवन-भूमि संबंध बताया जाता है और यहीं कहीं है वह 'तुलसीचौरा' भी जो 'रामचरितमानस' का और इस जन की दृष्टि में स्वयं तुलसी का भी जन्मस्थान है। कुछ हो, अति विश्वास के साथ कहा गया है- अवध के एक दूसरे महा पुरुष का भी अयोध्या से घनिष्ठ संबंध रहा है और संसार के इतिहास पर विशेष रूप से अंकित होने से किसी की तुलना हो तो यह पुरुप श्रीराम से भी बड़ा है । शाक्य बुद्ध कपिल- वस्तु के राजकुमार थे जो आजकल के गोरखपुर के पास एक नगर था । और उनका कुल कोशल के सूर्यवंश की एक शाखा था। अयोध्या में उन्होंने अपने धर्म के सिद्धान्त बनाए और अयोध्या ही में बरसात के दिनों में रहा करते थे। [गार्डन आव इंडिया से 'अयोध्या का इतिहास' पृष्ठ ११७ में अवतरित ] किंतु यह तो पीती वात रही, जीती गाथा यह है कि इसकी महिमा यवनों के मन में भी बस गई और उन्होंने भी किसी प्रकार इससे अपना नाता जोड़ लिया। यहाँ खुर्द मक्का उनको 'खुर्द मक्का' का दर्शन हुआ । कथा लंबी और अप्रिय है। संक्षेप में सुनिए यह कि- मुसलमान कहते हैं कि सृष्टि के आरंभ ही से अयोध्या मुसल- मानों के अधिकार में रही । अल्लाहताला ने पहिले आदम को बनाया और जव उन्होंने शैतान के बहकाने से गेहूँ खा लिया और फिरदोस (स्वर्ग) ले गिरा दिए गए तो लंकाद्वीप में गिरे जहाँ पर्वत पर उनका तीन गज लंबा चरण चिह्न अव तक दिखाया जाता है । इससे अनुमान किया जा सकता है कि आदम क्रिस डील-डौल के थे। आदम हज