पृष्ठ:तुलसी की जीवन-भूमि.pdf/२६४

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तुलसी की खोज. करने मक्के को जाया करते थे। उनके दो बेटों अयूब (Job) और शीस (Seth ) की कवरें अयोध्या में बताई जाती हैं । परंतु सम्राट अकबर के सुप्रसिर मंत्री अबुल फजल ने इनके विषय में जो कुछ लिखा उसका सारांश यह है- इस नगर में दो बड़ी कामे हैं, एक ६ गज लंबी दूसरी सात गज की । साधारण लोग कहते हैं कि अयूब और शीस की करें हैं और उनके विषय में विचिन बातें कहते हैं। इससे प्रकट है कि अबुलफजल को भी इन कयों के दावे पर संदेह था। अयोध्या में एक स्थान सुर्द (छोटा) मक्का भी है । थाने के पीछे तूफान वाले नूह की कब नव गज लघी बताई जाती है। इतिहासज्ञ इन्हें गंजे शहीदां मानते हैं। वास्तव में यहाँ मुसलिम पदार्पण विक्रम की ग्यारहवीं शताब्दी में हुआ। [अयोध्या का इतिहास, पृष्ठ १४३-४] अयोध्या' का यह रूप तो अँगरेजी शासन के पहले का है। इससे इसका नाता क्या? निवेदन है, यही तो भूल की बात है। अँगरेज धीरे धीरे रसता-बसता और सब रामराज्य का मय कुछ करता जा रहा था। वह भली भाँति जानता था कि कहाँ किसमें कितना चल है और उसकी मूल शक्ति कहाँ निहित है । 'राजपूत' पर उसका ध्यान गया नहीं कि उसने झट समझ लिया कि इसका अधिकांश रामभक्त भले ही न हो पर रक्त उसका राम का ही है। यहाँ तक कि मराठाराज्य का मूल पुरुष भी उसी रक्त का अभिमानी है। हिंदू राज्य का आदर्श है 'रामराज्य' । और उस राज्य की राजधानी है