पृष्ठ:तुलसी की जीवन-भूमि.pdf/४२

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श्री गोसाई-चरित्र का महत्त्व २५ . तह सो आश्रम सुभगः: बनायौ । निज समाज कोः साध टिकायौ। रामायन निनलिस्त्री सो दीन्ही । सनो थापना. तीरथ कीन्ही । [ चरित्र, पृष्ठ १०७-८] भवानीदास के इस कथन की पुष्टि 'शय कवि दौलतराम जी' के इस अवतरण से आप ही हो जाती है- हृदय राम: विख्यात.भे, हृदय घसाये राम । पुर. शोभा दूनी करी, चारि वर्ण विश्राम ॥३०॥ ग्राम रामपुर नाम, हृदय राम भूपालमणि । रामघाट सुखधाम, रमई गोड़िया नाम सुनि ॥३१॥ तुलसीदास कृपाल, राम भक्त तन मन बचन । माए ग्राम सुफाल, वास फियो कछु काल तहँ ॥३२॥ रामायण निन कर लिखित, दै पुनि दीन्ह असीस ! अचल होइ नृपता सदा, सुनु तव रामपुरीस ॥३३॥ हरसंभौर, पृष्ठ'७]

इतना ही नहीं अपितुस्वयं राजा महेश्वरवख्श सिंह 'रामपुर

रामपुर-मथुरा मथुराद्यधीश का निवेदन है- पुर .. शोभा . बाहुल्य बढाई । द्विन, क्षत्रिय विश शूद्र बसाई । प्राम'. रामपुर ते. कछु दूरी । दिशि- कौवेर्य सरित जल पूरी ! रामघाट गंडकि सर माहीं । रमई गोड़िया हो. तेहि ठाहीं । गोस्वामी . श्री तुलसीदासा। आए तेहि थल सहित हुलासा । घाट . नाम पूछो : हरपाई। रामघाट तेहि. दीन्ह बताई। नाम रमैया मोर · कृपाला । यहि कृत करत. वंश प्रतिपाला । . घाट पार को पुर कथु नामा.। बसत रामपुर ग्राम ललामा । को नृप हृदयराम नरनाहा । सुनि पायो तिन बड़ा उत्साहा । भावत मे सानंद तह, सुनि नृप आयो धाइ। युत आदर सत्कार तिन, बास कराए आइ ||