पृष्ठ:तुलसी की जीवन-भूमि.pdf/८९

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७८ तुलसी की जीवन-भूमि इस मुभाफी को इस वंश के लोग परंपरा से सम्राट अकबर की दी हुई कहते आते हैं। इसका कोई लिखित प्रमाण नहीं मिलता । कहते हैं वह तान्नपन्न जिसपर अकबर का लेख था बहुत दिन हुए झगड़ा होने पर इस वंश के लोग अपने साथ नयागाँव (चित्रकूट) ले गये । वहाँ भी १००, १५० बीघा की मुभाफी टन लोगों के पास है। बहुत से पुराने कागज कचहरियों में समय समय पर इस वंश के लोग जमा करते गये और कुछ तो आगे चलकर जो जिसके हाथ लगा झटकता गया। उनका पता माजकल नहीं चलता। मुझे इस वंश के पंडित मुन्नीलाल उपाध्याय के पास जिनके ही अधिकार में गोस्वामीजी के हस्तलिखित 'मानस' का अयोध्याकांट रहता है, केवल दो तीन पुराने कागज-पत्र जीर्ण-शीर्ण दशा में मिले हैं, इनमें से एक तो पन्ना के राजा श्री हिन्दूपति की सनद है। उसमें लिखा है कि- 'श्री महाराजाधिराज श्री महाराजा हिन्दूपति जू देव ते पं० श्री उपाध्याय सीवाराम को सनधि करि दई पुरानी सनधि पर हुकम आपर कसया राजापुर मैं ए आगै ए उहा की राह रकम हाट फैट में पाई आए हौद सो यहाल है हर हमेश पाये कोज आमिल मैमार नमींदार मुन्तहिम न होइ हुकुम हजूर फागुन सुदि ३ संवत् १८१३ मुकामि परना ।" अंगरेजी राज्य के पहले बाँदा जिला बुंदेलों के अधीन था। उनकी वंशावलि के सभी राजा उक्त मुआफी प्रदान करते आये हैं। इसका प्रमाण उक्त पंडितनीके पास बहुत ही जीर्ण कागज में उर्दू सनद की वायीं ओर जो कुछ लिखा है उससे भी मिलता है। बीच-बीच में वह कई जगह फट गया है इससे जो कुछ पढ़ा जा सका है उसकी प्रतिलिपि नीचे दी जाती है।