पृष्ठ:दासबोध.pdf/११७

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दासबोधः। [ दशक २ हैं ॥ ३३ ॥ अथवा और जो सकाम अनुष्ठान हैं उन्हें करना, वायु का रोक रखना या देवता के नाम पर योही पड़े रहना तमोगुण का लक्षण है ॥ ३४ ॥ नख और बाल बढ़ाना या हाथ ही ऊपर उठाये रहना या मूक- व्रत लेना तमोगुण है ना३५॥ अनेक निग्रह कर के अपनेको पीड़ा देवे, देह- दुख से तड़फड़ावे और क्रोध से देवता फोड़ डाले तो तमोगुण समझना चाहिये ।। ३६॥ जो देवता की निन्दा करता है जो आशावद्ध या अघोरी है अथवा जो संत का संग नहीं करता वह तमोगुण-प्रधान पुरुष है॥३७॥ अस्तु । यदि इस तमोगुण का पूरा पूरा वर्णन किया जाय तो बड़ा विस्तार हो जाय। अतएव त्याग के लिए, यहां कुछ थोड़ा सा इसका निरू- पण किया है ॥ ३८ ॥ यह तमोगुण पतन होने का कारण,' अर्थात् अधो- गति देनेवाला है। इससे मोक्ष नहीं मिल सकता ।। ३६ ॥ तमोगुण के अनुसार किये हुए कर्मों का फल बड़ा बुरा मिलता है । इससे जन्म-मृत्यु . का मूल नहीं नाश होता ॥ ४०॥ जन्म-मरण का चक्र नष्ट होने के लिए तो सत्वगुण ही चाहिये । अगले समास में उसीका निरूपण किया गया है॥४१॥ सातवाँ समास-सतोगुण-निरूपण । ॥ श्रीराम ।। पिछले समास में दारुण-दुःख-दायक तमोगुण का वर्णन किया; अब परम दुर्लभ सतोगुण का निरूपण सुनिये ॥ १॥ यह (सतोगुण ) भजन का आधार है, योगियों का सहारा है और यही दुःखदायक संसार से पार करता है ॥२॥ इससे उत्तम गति मिलती है, भगवान् से मिलने का. मार्ग मालूम होता है और इसके द्वारा साग्रुज्य मुक्ति मिलती है ॥ ३॥ सतोगुण भक्तों का आधार है, संसारसागर से पार होने में इसीका भरोसा है और इसीके द्वारा मोक्षलक्ष्मी मिलती है। यह परमार्थ का मंडन है, महन्तों का भूषण है और इसीके द्वारा रजोगुण और तमोगुण का निरास होता है ॥ ५ ॥ यह परम सुखकारी अथवा आनन्द की लहर है। यही जन्म-मृत्यु को निवारण करता है ॥ ६ ॥ सतोगुण से अज्ञान का अन्त होता है, पुण्य का प्रकाश होता है और परलोक का मार्ग मिलता है ।। ७ ।। यह गुण जव किसी मनुष्य में प्रकट होता है तब उसकी क्रिया के लक्षण इस प्रकार होते हैं:-॥८॥