पृष्ठ:दासबोध.pdf/१३३

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दासबोध। [दशक ३ घबड़ा कर कहता है कि "हे चक्रपाणि, अर्थात् ईश्वर, अब यहां से छुड़ावो ॥ ३४ ॥ हे ईश्वर, यदि अब की बार तू यहां से सुझे छुड़ावेगा तो मैं अपना सच्चा हित करूंगा और यह गर्भवास मिटाऊंगा, जिसमें फिर यहां न थाना पड़े" ॥ ३५ ॥ दुख के साथ जब ऐसी प्रतिज्ञा करता है तब फिर जन्म का समय आता है। उस समय माता प्रसूत-काल के कष्ट से रोने लगती है ॥ ३६ ॥ गर्भ में बालक की नाक और मुँह में मांस जम जाता है, इस लिए वह मस्तक से स्वास छोड़ता रहता है, पर पैदा होते समय मस्तक भी बिलकुल बन्द हो जाता है ॥ ३७ ॥ मस्तक द्वार (तालू) के बन्द होते ही उसका चित्त बहुत घबड़ाता है और वह चारों ओर तड़फ- डाने लगता है ॥ ३८॥ स्वासोच्छ्वास बंद हो जाने के कारण प्राणी घब- डाता है और मार्ग न देख पड़ने से वह और भी दुःखी होता है ॥ ३६॥ इस घबड़ाहट के कारण बालक कमी कमी माता की योनि में अटक रहता है, तब लोग कहते हैं कि अब इसे काट कर निकालना चाहिए ॥४०॥ अतएव हाथ, पैर, मुहँ, नाक, पेट जो कुछ हाथ में पड़ जाता है वही काट कर बालक को बाहर निकालते हैं ॥४१॥ टुकड़े टुकड़े कर डालने के कारण बालक मर जाता है और माता भी इसीमें अपने प्राण छोड़ देती है ॥ ४२ ॥ इस प्रकार स्वतः मर जाता है और माता का भी प्राण लेता है, तथा गर्भवास में कठिन दुःख भोगता ही है ॥२३॥ अच्छा, यदि, सौभाग्य से, योनि का मार्ग ही मिल गया तो भी पीछे से कंधा या गला कभी कभी अड़ जाता है ॥४४॥ तब लोग बलपूर्वक, योनि के संकु- चित पंथ से, बालक को खींच कर निकालते हैं और इस तरह बालक के प्राण जाते हैं ॥ ४५ ॥ प्राण जाते समय बेहोश हो जाने के कारण बालक पहले की सब बातें भूल जाता है ॥ ४६ ॥ गर्भ में तो "सोहं सोहं, " अर्थात् " मैं वही ( ब्रह्म ) हूं; मैं वही हूं,' कहता है और बाहर ओते ही कहता है 'कोरं,' अर्थात् 'मैं कौन हूं। अस्तु । गर्भवास में इस प्रकार बहुत कष्ट पाता है ॥४७॥ गर्भ के दुःख भोग कर बड़े कष्ट के साथ बाहर निकलता है और तुरन्त ही वे सब दुःख भूल जाता है ॥ ४॥ वृत्ति शून्याकार हो जाती है, मन में कुछ नहीं याद अाता, अज्ञान से भ्रान्ति में पड़ता है और संसार के सबै दुःखों को भी सुखं ही सान लेता है ॥ ४६॥ अर्थात् देह-विकार पाते ही प्राणी सुख- दुख में भूल जाता है और इस प्रकार माया-जाल में फँसता हैं ॥५०॥ गर्भवास में प्राणिमात्र को ऐसा ही दुख होता है । इसी लिए कहते हैं कि ईश्वर की शरण जानो ॥ ५१ ॥ जो भगवान् का भक्त है वह जन्म से.