पृष्ठ:दासबोध.pdf/१४२

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समास ४]] स्वगुरण-परीक्षा। जी घर के लोगों में लगा रहता है, इस लिए मालिक से पूछ कर लौटता है ॥ १७ ॥ इधर उसके सब वालबच्चे अत्यन्त दुखित हो रहे हैं, वैटे रास्ता देख रहे हैं और कहते हैं कि “ न जाने इतने दिन क्यों लगे! हे ईश्वर, क्या करें! ॥ १८ ॥ अव हम क्या खायें, कहां तक भूखों मरें, ईश्वर ने ऐसे पुरुष की संगति में हमें क्यों डाला!" ॥ १६ ॥ इस प्रकार अपना अपना सुख सभी देखते हैं। पर उसका दुस्ख कोई नहीं जानता, और बुढ़ापा आने पर अन्त में कोई भी काम नहीं पाता ॥ २० ॥ अस्तु । इस प्रकार बाट जोहते जोहते वह अचानक आ जाता है, लड़के दौड़ते है और कहते हैं कि दादा थक गया है ! ॥ २९ ॥ उसे देख कर स्त्री भी आनन्दित होती है, कहती है कि अब हमारी दरिद्रता गई ! इतने में वह गठड़ी हाथ में दे देता है ॥ २२ ॥ सब को आनन्द होता है, लड़के कहते है कि हमारा वाप पाया और वह तो हमें अंगे और टोपियां लाया है ! ॥ २३ ॥ इस प्रकार चार दिन आनन्द मना कर फिर सब कुसमुस मचाते हैं। कहते हैं कि “यह द्रव्य चुक जाने पर हमें फिर दुःख उठाना पड़ेगा! ॥.२४ ॥ इस लिए जो धन कमा लाये हैं वह रहने दें और फिर परदेश को जाँय । हम यह खाये न पावें कि फिर द्रव्य पैदा करके श्रा!" ॥२॥ ऐसी सब की इच्छा होती है, सब सुख के साथी है । अत्यन्त प्रीति- वाली स्त्री भी सुख ही की साथिनी है ॥ २६ ॥ परदेश में अनेक कष्ट सह कर विश्राम लेने के लिए घर आया था; परन्तु यहां सांस भी नहीं लेने पाया, कि चलो फिर परदेश ! ॥ २७ ॥ फिर जोशी की आवश्यकता पड़ती है, प्राणी मुहूर्त की विवंचना में पड़ता है; परन्तु उसका मन घर में फँसा है, अतएव जाना अच्छा नहीं जान पड़ता! ॥२८॥ तथापि, लाचार, तैयारी करके कुछ सामग्री बांधता है और बच्चों को प्रेम से दृष्टि-भर देख कर चल देता है ॥ २६ ॥ स्त्री की ओर देखता जाता है, चियोग से दुःखी होता है; पर क्या करे, दुर्भाग्य से छोड़ना ही पड़ता है ॥३०॥ कंठ भर आता है, गहवर नहीं सम्हाला जाता, वापचेटे का वियोग होता है। ॥ ३१ ॥ " यदि भाग्य में लिखा होगा तो फिर भेट होगी। नहीं तो यही अन्तिम भेट है ! " ॥ ३२ ॥ ऐसा कहकर चल देता है, पीछे फिर फिर कर देखता है, वियोग का दुःख सहा नहीं जाता; पर क्या करे कोई वस नहीं है. ॥३३॥ अब उसका गाँव छूट जाता है, गृहस्थी की चिन्ता से चित्त व्याकुल होता है और मोह के कारण प्रपंच से पड़ कर दुखित होता है ॥ ३४॥ उस समय माता की याद आती है, और कहता है कि, "उस माता को धन्य है, धन्य है ! मेरे कारण उसने बहुत कष्ट उठाया।