पृष्ठ:दासबोध.pdf/१४४

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समास ५] स्वगुण-परीक्षा। दुख से घबड़ाया हुया फिर परदेश को जाता है । अव आगे जो हाल होता है उसे सावधान होकर सुनिये ॥ ५ ॥ ।' पाँचवाँ समास-स्वगुण-परीक्षा । ( तीसरे विवाह से संकट और वुढ़ापे के दुःख । ) ॥ श्रीराम ॥ अब फिर वह प्राणी परदेश में जाकर अपने व्यवसाय में लगता है और नाना प्रकार के परिश्रम करता है ॥ १ ॥ इस दुस्तर संसार के लिए न जाने कितने कष्ट उठाता है और दो चार वर्ष में फिर कुछ धन कमाता है ॥२॥ तुरंत ही देश को आता है और यहां आकर क्या देखता है कि दुर्भिक्ष पड़ा है, जिसके कारण घर के लोग बहुत दुःखी है ॥ ३॥ किसी- के गाल वैठ गये हैं, किसीकी आंखें निकल आई है, कोई दीनता से थर घर कांप रहा है ॥ ४॥ कोई दीनरूप वैठे हैं, कोई सूज गये और कोई मर गये हैं-ऐसी दशा में अपने कन्यापुत्रों को अकस्मात् देखता है ! ॥५॥ इससे बहुत दुखी होता है, कण्ठ भर श्राता है और अत्यन्त व्याकुल हो कर रोने लगता है ॥ ६॥ तब कहीं वे सब सावधान होते हैं और यह कह कर कि, "दादा, दादा, खाने को दो," अन्न के लिए आशा लगाये हुए झपटते हैं ॥ ७॥ गठड़ी खोल कर देखते हैं, जो हाथ में पड़ता है वही खा लेते हैं । कुछ मुहँ में है और कुछ हाथ में है-इसी दशा में प्राण निकल जाते हैं !॥ ८ ॥ जल्दी जल्दी से-उतावली से-खाने को देता है, इतने ही में उनमें से कुछ तो खाते खाते मर जाते और जो कुछ बच जाते हैं वे भी अजीर्ण से भरते हैं ! ॥ ६ ॥ इस प्रकार प्रायः सभी घर के लोग मर जाते हैं, सिर्फ एक दो लड़के बच रहते हैं वे भी अपनी माता के विना व्याकुल रहते हैं ॥ १०॥ अस्तु; उस अवर्षण से घर का घर ही डूब जाता है, इसके बाद देश में अच्छा सुकाल अाता है ॥ ११ ॥ लड़कों को सम्हालनेवाला कोई नहीं रहता, अपने ही हाथ से खाने को बनाना पड़ता है, अतएव रसोई के काम से चित्त बहुत घबड़ाने लगता ॥ १२॥ लोगों के मड़ी पर रख देने से, फिर तीसरा विवाह कर लेता. है और शेष सारा धन उसमें खर्च कर देता है ॥ १३॥ इसके बाद फिर परदेश जाकर कुछ धन कमा लाता है और घर में आकर देखता है तो सावत्र (सौतेले) पुत्रों से कलह मच रही है ! ॥ १४ ॥ स्त्री तरुण