पृष्ठ:दासबोध.pdf/१५९

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दासबोध [ दशक ३ वाले (अर्थात् जो अपने योगबल से मौत को कुछ समय के लिए टाल सकते हैं) पुरुप को भी वह नहीं बचने देती ! ॥ २४ ॥ सावधान पुरुप, सिद्ध पुरुप, वैद्य और पंक्षाक्षरी (झाडझूक करनेवाला) को भी वह उठा ही ले जाती है ॥ २५ ॥ मृत्यु नहीं जानती कि यह गोस्वामी है, वह तपस्वी को भी नहीं जानती और न मनस्वी या उदासीन का ही कुछ ख्याल करती है ॥ २६ ॥ ऋपीश्वर, कवीश्वर, दिगम्बर और समाधिस्थ लोगों को भी मृत्यु नहीं छोड़ती ॥ २७ ॥ हठयोगी, राजयोगी और निर- न्तर राग से दूर रहनेवाले ( चैरागी) पुरुषों का भी मृत्यु को कुछ विचार नहीं है ॥ २८ ॥ ब्रह्मचारी, जटाधारी और निराहारी योगेश्वरों तक को वह उठा ले जाती है ॥ २६ ॥ संत, महंत और गुप्त होजानेवालों को भी मृत्यु कुछ नहीं समझती ॥ ३०॥ मृत्यु स्वाधीन और पराधीन किसीको नहीं छोड़ती-सव जीवों को वही खा जाती है ॥३१॥ इस संसार में, कोई मृत्यु के मार्ग पर आ लगे हैं, कोई आधी दूर तक पहुँचे हैं और कोई वृढ़े होकर अन्त तक पहुँच चुके हैं-मर गये हैं ॥ ३२ ॥ बालक, तरुण, सुल- क्षण, विलक्षण और बड़े व्याख्याता तक को मृत्यु कुछ नहीं समझती ॥ ३३ ॥ मृत्यु नहीं जानती कि यही आधार है और न वह समझती है कि यह उदार है । मृत्यु सुन्दर पुरुप और सब प्रकार निष्णात पुरुप को भी कुछ नहीं समझती ॥३४॥ पुण्य-पुरुप, हरिदास, या कीर्तनकार, और बड़े बड़े सत्कर्म करनेवालों को भी मृत्यु नहीं छोड़ती ॥ ३५ ॥ अच्छा, अब ये बातें रहने दो । मृत्यु से कौन छूटा है, आगे-पीछे, सब लोगों को अवश्य मृत्युपंथ पर जाना ही है ॥३६॥ जारज, उद्भिज, अंडज और स्वेदज नामक चारों खानियों में जो चौरासी लक्ष योनियां हैं उन- से पैदा हुए यावत् जीवों को अवश्य ही मृत्यु खायगी ॥ ३७ ॥ मृत्यु के भय से चाहे जहां कोई भग कर जाय; पर वह उसे कभी नहीं छोड़ सकती । तात्पर्य, किसी उपाय से भी मृत्यु टल नहीं सकती ॥ ३८ ॥ 'स्वदेशी' हो या 'विदेशी' हो (1) मृत्यु किसीको नहीं छोड़ती। चाहे कोई सदैव उपवास करता रहता हो, तथापि उसे भी मृत्यु नहीं बचने देगी ! ॥ ३६॥ मृत्यु बड़ों बड़ों को नहीं छोड़ती-ब्रह्मा, विष्णु और महेश को भी मृत्यु कुछ नहीं समझती-तथा भगवान् के अवतारों (राम-कृष्णादि) तक की वह खवर लेती है।॥४०॥. हमारे इस कथन से श्रोता, लोग क्रोध न करें, क्योंकि सभी को मालूम है कि यह 'मृत्युलोक ' है जो यहां आया है वह अवश्य ही मृत्यु को प्राप्त होगा ॥४१॥ इसमें सन्देह रखने की कोई बात नहीं है-यह 'मृत्युलोक' विख्यात है-इसे छोटे-बड़े