पृष्ठ:दासबोध.pdf/१६१

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ca शालदोध। [ दशक ३ इस महा नदी में श्राशा, ममता और देहबुद्धि के घड़ियाल मनुष्य को अपनी ओर खींच कर संकट में डालते हैं ॥२॥ अहंकाररूपी नक पाताल में पकड़ ले जाकर डुबो देता है-वहां से फिर प्राणी निकल नहीं सकता ॥ ३॥ कामरूपी मगर के पंजे से मनुष्य नहीं छूटने पाता; तिरस्कार पीछे ही लगा रहता है और मदमत्सर के न हटने से मनुष्य भ्रम पड़ जाता है॥४॥ वासनारूपी नागिन गले में लिपट कर जीभ लपलपाते हुए विष उगलने लगती है ! ॥५॥ ऐसी दशा में मनुप्य 'मेरा मेरा' कहते हुए सिर पर प्रपंच (गृहस्थी) का बोझा लादे हुए है-और, यद्यपि वह उस बढ़ी हुई नदी में डूबना चाहता है, तथापि बोझा नहीं छोड़ता और उलटे, कुलाभिमान में पाकर फूल जाता है ॥ ६ ॥ उस दशा में भ्रांति के अँधेरे में पड़ जाने के कारण अभिमानरूपी चोर उसे लूट लेता है और अहंतारूपी भूतबाधा का फेरा उस पर आ जाता है ! ॥ ७ ॥ इसी प्रकार अनेक प्राणी इस महा नदी के भवरों में पड़े हुए बहे चले जाते हैं, परन्तु जो भक्ति-भावपूर्वक उस संकट में परमात्मा को पुकारता है उसके लिए वह स्वयं प्रकट होता है और उसे पार लगाता है ! वाकी, जो अभक्त है, वे विचारे वहते ही चले जाते हैं ॥ ८॥ ६ ॥ भगवान् भक्ति-भाव का भूखा है-वह भक्ति-भाव ही पर भूलता है और भाविक पर प्रसन्न होकर वह संकट में उसकी रक्षा करता है ॥१०॥ जो परमात्मा पर प्रेम करता है उसकी वह भी चिन्ता रखता है वह अपने दास के सारे दुःख दूर करता है ॥ ११ ॥ जो परमेश्वर के दास है वही स्वात्मसुख का श्रानन्द लूटते है-ऐसे भक्तों को धन्य है ! ॥ १२ ॥ जिसका जैसा भाव है उसके लिए परमात्मा भी वैसा ही है-वह प्राणि- मात्र का अन्तर्साक्षी है और सब का भाव जानता है ॥ १३ ॥ जिसका भाव मायिक होता है उसके लिए परमात्मा भी महा ठग बन जाता है-- उसका कौतुक अपूर्व है-वह जैसे को तैसा है! ॥१४॥ उसका जो जैसा भजन करता है वैसा ही वह उसे शान्ति देता है। यदि किंचित् भी भाव न्यून हो जाता है तो वह भी अलग हो जाता है ॥ १५ ॥ जो जैसा होता है उसका वैसा ही प्रतिबिंब दर्पण में देख पड़ता है-उसकी मुख्य कुंजी अपने ही पास है ॥ १६ ॥ जैसा हम करते हैं वैसा ही प्रतिविम्ब होता है; यदि हम आखें पसार कर देखते हैं तो वह भी नेत्रं फाड़ कर हेरता है ॥ १७ ॥ भौहें सिकोड़ कर देखने से वह भी क्रोधित हो उठता है; और हम यदि हँसने लगते हैं तो वह भी आनन्दित होता है ॥१६॥ जैसा भाव प्रतिविम्बित होता है वैसा ही परमात्मा भी बन जाता है-जो जैसे