पृष्ठ:दासबोध.pdf/१६३

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दासबोध। [ दशक ३ हैं; पर मनुष्य का जन्म पाकर भी जो परमात्मा की भक्ति नहीं करते वे जन्म-मरण के दुःख भोगते रहते हैं ॥ ३७ ॥ अतएव, मनुष्य-जन्म पाकर संतसमागम के द्वारा इस जीवन को सुफल कर लेना चाहिए, क्योंकि पहले, अनेक नीच योनियों में, बहुत दुःख सहने के बाद यह जन्म प्राप्त हुआ है ।। ३८ ॥ कौन समय कैसा आवेगा, इसका कोई भरोसा नहीं। जिस प्रकार पक्षी दसों दिशाओं में उड़ जाते हैं उसी प्रकार, न जाने किस समय, ये सारे वैभव-स्त्री, पुत्र, धन, आदि-कहां चले जायेंगे ! ॥ ३६-४० ॥ घड़ी घड़ी का ठिकाना नहीं है, और उम्र तो सारी खतम होने आई है, तथा देहान्त होने के बाद फिर वही नीच योनि तैयार है ! ॥४१॥ स्वान, शूकर, आदि नीच योनियों में जन्म पाकर विपत्ति भोगनी पड़ती है इन योनियों में कुछ उत्तम गति नहीं मिलती ॥ ४२ ॥ अरे! पहले गर्भवास में तू अनेक संकट भोग चुका है और, सौभाग्य से, बड़ी कठिनाई के साथ, वहां से छूटा है ॥ १३ ॥ वे सारे दुःख तूने स्वयं ही भोगे हैं, वहां तेरे साथ ये स्त्री-पुत्रादि कोई नहीं थे; और, अरे भैया ! उसी प्रकार फिर भी तुझे अकेले ही जाना है ॥४४॥ कहां की माता, कहां का पिता, कहां की बहन और कहां का भ्राता ! कहां के सुहृद और कहां के स्त्री-पुत्रादि ? ॥ ४५ ॥ ये सब मिथ्या हैं-सारे सुख के साथी हैं-ये तेरे दुख के संगी नहीं हैं ॥ ४६ ॥ कहां का माया प्रपंच और कहां का कुल; काहे के लिए व्याकुल होता है ? धन- धान्य और लक्ष्मी आदि सब अनित्य हैं ॥ ४७ ॥ कहां का घर और कहां की गृहस्थी; काहे के लिए व्यर्थ परिश्रम करता है-जन्मभर बोझा ढोकर अन्त. को छोड़ जायगा! ॥४८॥ कहां की जवानी, कहां का वैभव और कहां का यह हावभाव का आनन्द ? ये सभी मायावी हैं ! ॥ ४६॥ यदि तू इसी क्षण मर जायगा तो 'राम' को नहीं पायगा; क्योंकि तू 'मेरा मेरा' कहता है-अर्थात् तेरी वासना विषयों में फँसी है ॥ ५० ॥ जव तूने अनेक जन्म-मरण भोगे हैं तब ऐसे मा, बाप, स्त्री, कन्या, पुन आदि न जाने कितने, लाखों, होगये ! ॥ ५१ ॥ ये सब कर्म-योग से एक स्थान में जन्म लेकर एकत्र हुए हैं । अरे पढ़तमूर्ख ! इन्हें तूने अपना कैसे मान लिया ? ॥ ५२ ॥ जब स्वयं तेरा शरीर ही अपना नहीं है, तब दूसरे की क्या गिनती है ? 'अतएव, अब, भाक्तभाव से एक परमात्मा ही का भरोसा रख!॥ ५३॥ इस एक पापी पेट के लिए अनेक नीचों की सेवा करनी पड़ती है तथा बहुत प्रकार से उनकी चापलूसी और अदब करना होता है. इस प्रकार, जो सिर्फ पेट के लिए अन्न देता है उसके हाथ यह -