पृष्ठ:दासबोध.pdf/१६७

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दासबोध । [ दशक ४ योगी, निग्रही, हठयोगी, शाहामार्गी, अघोरयोगी-ये कैसे होते हैं, सो सुनना चाहिए ॥१३॥ अनेक प्रकार की मुद्रा, अनेक श्रासन, अनेक लक्ष- स्थान, पिण्डज्ञान और तत्वज्ञान आदि का वर्णन सुनना चाहिये ॥ १४ ॥ नाना प्रकार के पिंडों की रचना, अनेक प्रकार की भूगोल-रचना और नाना प्रकार की सृष्टिरचना किस प्रकार होती है, सो सुनना चाहिये ॥ १५॥ चन्द्र, सूर्य, तारामंडल, ग्रहमंडल, मेघमंडल, इक्कीस स्वर्ग और सात पाताल किस प्रकार के हैं, सो सुनना चाहिए ॥ १६ ॥ ब्रह्मा, विपशु, सहेश के स्थान; इंद्र, श्रादि देव और ऋपियों के स्थान; तथा चायु, वरुण और कुबेर के स्थान कैसे हैं, श्रवण करना चाहिये ॥ १७॥ नवखंड, चौदह भुवन, आठ दिग्पालों के स्थान, अनेक गहन वन-उपवन, इन सब का वर्णन सुनना चाहिये ॥ १८ ॥ गण, गन्धर्व, विद्याधर, यक्ष, किन्नर, नारद, तुंवरू,अष्टनायक,आदि के संगीत-विचार का वर्णन सुनना चाहिये ॥१६॥ राग का ज्ञान, ताल का ज्ञान, नृत्य का ज्ञान, वाद्य का ज्ञान, अमृतसिद्धि-योग और प्रसंग का ज्ञान कैसे होता है, सो भी सुनना चाहिए ॥२०॥ चौदह विद्या, चौसठ कला, सामुद्रिक-लक्षण, मनुष्य के बत्तीस लक्षण और नाना प्रकार की कला कैसी होती हैं, सो सब सुनना चाहिये ॥ २१ ॥ मंत्र, ओपधिमणि, सूत्रग्रन्थि, सिद्धि, नाना वेलियां, नाना प्रोप- धियां, धातु, रसायनक्रिया और नाटिका-ज्ञान सुनना चाहिए ॥ २२ ॥ किस दोष से कौन रोग होता है, किस रोग के लिए कौन प्रयोग कहा है और कौन से प्रयोग के लिए कौन सा योग सधता है-यह सब सुनना चाहिए ॥२३॥ रौरव, कुंभिपाक, आदि नर्क, यमलोक की नाना यातनाएं, स्वर्ग-नर्क के सुखदुख आदि कैसे होते हैं, सो सब सुनना चाहिए ॥२४॥ नवविधा भक्ति और चतुर्विधा मुक्ति कैसी होती है और उत्तम गति कैसे मिलती है-यह सब सुनना चाहिये ॥२५॥ पिण्ड और ब्रह्मांड की रचना, नाना प्रकार के तत्वों का विवेक और सार-प्रसार का विचार सुनना चाहिये ॥ २६ ॥ सायुज्य मुक्ति कैसी होती है, मोक्ष कैसे मिलता है यह जानने के लिए अनेक सद्भन्थों का श्रवण करना चाहिए ॥ २७ ॥ वेद, शास्त्र, पुराण, और 'तत्त्वमसि,' आदि महावाक्यों के विवरण, तनुचतु- प्य, (अर्थात् स्थूल, सूक्ष्म, कारण, महाकारण ये चार प्रकार के शरीर) का निरसन किस प्रकार होता है, सो सुनना चाहिये ॥ २८ ॥ सुनना तो यह सब चाहिए; परन्तु सार ढूँढ़ लेना चाहिए; और असार को, पहचान कर, छोड़ देना चाहिए-इसका नाम है श्रवणभक्ति ॥२६॥ सगुण परमात्मा के चरित्र सुनना चाहिये अथवा निर्गुण का, अध्यात्म-ज्ञान के द्वारा, खोज .