पृष्ठ:दासबोध.pdf/१८८

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गुरु-निश्चय। प्राणी उत्तम गति पाते हैं ॥ १३ ॥ ब्रह्मभोज में भी अन्य जातियों को छोड़ कर ब्राह्मण ही की पूजा होती है । तथापि भगवान् भाव का भूपा-वह जाति-पाँति नहीं देखता ॥ १४॥ अस्तु । ब्राह्मण को बड़े बड़े बता भी बंदन करते हैं, तब मनुष्य बिचारे की क्या गिनती है ? आज कल तो, चाहे ब्राह्मण मूढ़मति ही क्यों न हो तो भी. वह जग को वंद- तीय ॥ १५॥ अन्त्यज बड़ा शब्द-ज्ञाता है; परन्तु उसे लेकर क्या करें? मालग के पास बैठा कर उसे पूज चौड़े ही सकते हैं ? ॥ १६ ॥ लोकमत को विन्द्ध जो कुछ किया जाता है, उसकी वेद भी अवहेलना करते हैं, इल लिए उसे पाखंडमत कहते हैं ॥ १७ ॥ अस्तु । जो परमात्मा के भन्ना होते हैं उनका ब्राह्मण में विश्वाल होता ही है। ब्राह्मण की पूजा करके अनेक लोग पवित्र हो चुके हैं ॥ १८॥ यदि कहोगे कि जब ब्राह्मण ही से देवाविदय परमात्मा मिलता है तब फिर सद्गुरु फ्यों करें ? परन्तु यह ठीक नहीं-सद्गुरु बिना ब्रह्मज्ञान नहीं होता ॥ १६ ॥ स्वधर्म-कर्म में ब्राह्मण पूज्य है। परन्तु ज्ञान सद्गुरु के बिना नहीं होता । और ब्रह्मज्ञान हुए विना • जन्मनरण का दुख नहीं मिटता ॥ २० ॥ सद्गुरु के बिना ज्ञान कभी हो नहीं सकता। और अज्ञानी प्राणी संसार-प्रवाह में बहते ही चले जाते हैं ॥२॥ दिना मान के जो कुछ किया जाता है वह सब जन्म का कारण होता है, इसी लिए कहते हैं कि, सद्गुरु के चरण दृढ़तापूर्वक पकड़ना चाहिए ॥२२॥ जिसे परसात्मदर्शन की इच्छा हो उसे सत्संग करना चाहिए क्योंकि सत्संग विना देवाधिदेव (ब्रह्म) मिल नहीं सकता ॥ २३ ॥ विचारे अज्ञान पुरुष सद्गुरु को छोड़ कर नाना प्रकार के साधन करते फिरते हैं; परन्तु गुरुकृपा विना वह सब परिश्रम व्यर्थ ही जाता है ॥ २४ ॥ कार्तिकस्नान, माघस्नान, व्रत, उद्यापन, दान, गोरांजन (ईश्वर के लिए अपने को दाग देना), धूम्रपान (अपने को उलटा वृक्ष में टांग कर नीचे किया हुआ धुआं पीने का तप) और पंचाग्नि आदि नाना प्रकार के साधन करते हैं ॥ २५ ॥ लोग हरिकथा, पुराणश्रवण और श्र- ध्यात्म-निरूपण, आदर से, करते हैं और बड़े बड़े कठिन, सब तीर्थ करते हैं ॥ २६ ॥ स्वच्छता के साथ देवतार्चन, स्नान, संध्या, दर्भासन, तिलक, माला, गोपीचन्दन और श्रीमुद्राओं की छापें श्रादि सब कुछ धारण करते है ॥ २७ ॥ अर्घ्यपात्र, संपुट, गोकर्ण पात्र, मंत्रयंत्रों के ताम्रपत्र और नाना प्रकार की सामग्रियों पूजा करते हैं ॥ २८ ॥'घनन घनन' घंटा बजाते हैं; स्तोत्र, स्तवन, स्तुति, भासन, मुद्रा, भ्यान, नमस्कार, प्रद