पृष्ठ:दासबोध.pdf/१९०

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सद्गुरु-राक्षण। ९०६ दूसरा समास- सद्गुरु लक्षण । ॥ श्रीराम ।। जो करामात दिखलाते हैं उन्हें भी गुरु कहते हैं। परन्तु वे मोक्षदाता गुरु नहीं है ।। १॥ सभा-मोहन मंत्र, टटका-टोना, झाड़-फूंक, अनेक प्रकार के टंटबंट मंत्र और नाना प्रकार के असम्भव चमत्कार तथा को- गुरू बतलाते हैं ॥२॥ोपधियों का प्रयोग, कीमियागरी, नजरबन्दी, और केवल दृष्टिले इच्छित वस्तु तत्काल प्राप्त कर लेने का मार्ग बतलाते हैं।।३॥ साहित्य, संगीत, रागज्ञान, गीत, नृत्य, तान-मान और अनेक बाब लिखनाते हैं, ये सभी एक प्रकार के गुरु है ॥४॥ पंचाक्षरी विद्या सि- ग्वाते हैं. अथवा नाना प्रकार की झाड़तक, या जिन विद्याओं से पेट भरता है, वे सिम्बाते हैं॥५॥ जिस जाति का जो व्यापार है वह, उदर भरने के लिए, सिखाते हैं वे भी गुरु है; परन्तु चे वास्तव में सद्गुरु नहीं ॥ ॥ अपने माता-पिता भी यथार्थ में गुरु ही हैं, परन्तु जो भवसा- गरले पार करता है वह सद्गुरु दूसरा ही है ॥ ७ ॥ गायत्री मंत्र का उ- द्वार बतलानवाला यथार्थ में कुलगुरु है; परन्तु जिस ज्ञान के विना भव- नागर पार नहीं हो सकते वह शान देनेवाला सद्गुरु दूसरा ही है ॥८॥ जो व्रलमान का उपदेश करे; अज्ञानांधकार का निरसन करे; जीव और शिव का ऐक्य करे, जीवपन और शिवपन के कारण ईश्वर और भक्त में जो भिन्नता पा गई है उसे जो मिटावे-अर्थात् परमेश्वर और भक्त को एक करे-यही सद्गुरु है ॥ ६ ॥ १० ॥ भव-भयरूपी व्याघ्र पंचविषयरूपी छलांगें भर कर जीवरूपी बछड़े को ईश्वररूपी गौ से छीन लेता है। उस समय जो अपने ज्ञानरूपी खड्ग से उस व्याघ्र को मार कर बछड़े को बचाता है और गौ से फिर उसे मिला देता है-अर्थात् जीव और शिव का ऐक्य कर देता है, वही सद्गुरु है ॥ ११ ॥ जो प्राणी माया जाल में पड़ कर सं- सार-दुःख से दुःखित हो उनको जो मुक्त करता है वह सद्गुरु है ॥१२॥ वासनारूप नदी की बाढ़ में डूबता हुआ प्राणी घबड़ा रहा है, वहां जा- कर जो उसे पार लगाता है वही सद्गुरु है ॥ १३ ॥ जो ज्ञान. देकर गर्भ- बाल के भारी संकट और इच्छा-बन्धन की बेड़ियां तुरन्त ही काट देता हो वही सद्गुरु स्वामी है ॥ १४ ॥ जो अपने उपदेश के अप्रतिम प्रभाव से आत्मदर्शन करा देता है वही गुरु अनाथों का रक्षक है ॥ १५ ॥ जीव विचारा, जो एक देशी है, उसे जो साक्षात् ब्रह्म ही बना देता है और जो