पृष्ठ:दासबोध.pdf/२१६

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समास ] साधक-लक्षण। दुर्गुणों को छोड़ कर जो सन्तसमागम करता है वह साधक कहलाता ॥२॥ जो सन्तों के शरण जाता है, और सन्तजन जिसे श्राश्वा- सन भी देते हैं, उसे शास्त्रों में साधक कहा है ॥ ३॥ सन्तों से आत्म- ज्ञान का उपदेश पाकर जिसका संसार-बन्धन टूट गया है; और जो उस यात्मज्ञान की दृढ़ता के लिए साधन करता है उसे साधक' कहते हैं ॥ ४ ॥ वह अध्यात्म-श्रवण से प्रीति रखता है; अद्वैत-निरूपण की रुचि रखता है और सद्ग्रन्थों का मनन करके उनके अर्थ का सार निकालता है ॥ ५॥ सारासार का विचार मन लगा कर सुनता है, और संदेह को मिटा कर दृढ़तापूर्वक आत्मज्ञान का विचार करता है॥६॥ साधक, अनेक प्रकार के सन्देह मिटाने के लिए, सत्संगति करता है; और शास्त्र का श्र- नुभव, गुरु का अनुभव और आत्मानुभव तीनों को एक करता है॥७॥ वह विवेक से देहबुद्धि को रोकता है; आत्मबुद्धि को दृढ़तापूर्वक धारण करता है और श्रवण मनन किया ही करता है|दृश्य (संसार, प्रकृति, माया) का भान छोड़ कर साधक आत्मज्ञान को दृढ़ता से धारण करता है और विवेक से समाधान प्राप्त करता है ॥६॥ द्वैत की उपाधि (मा- थिक सृष्टि ) को छोड़ कर अद्वैत वस्तु (केवल ब्रह्म ) वह, साधन के द्वारा प्राप्त करता है और एकता की समाधि लगाता है ॥१०॥ अपना ज्ञान जो मलीन हो गया था उसको, वह प्रकाशित करता है और विवेक से भव- सागर पार होता है॥११॥ साधक पुरुष सद्ग्रन्थों में सुने हुए उत्तम साधुओं के लक्षणों को अपने आचरण में लाता है और परमात्मा में लीन होने का उत्साह रखता है ॥ १२ ॥ असत्कमाँ का त्याग करके सत्कौ की वृद्धि करता है और स्वरूपस्थिति को दृढ़ करता है॥१३॥ वह दिनोंदिन अवगुण त्यागता है; उत्तम गुणों का अभ्यास करता है और आत्म-स्वरूप में निदिध्यास लगाता है ॥ १४ ॥ अपने दृढ़निश्चय के वल से, दृश्य (संसार) • का अस्तित्व होने पर भी, उससे वाध्य न होते हुए, वह सदैव स्वरूप में मिलता जाता है ॥ १५॥ प्रत्यक्ष होने पर भी माया को लक्ष में नहीं लाता है और अंलक्ष, या अदृश्य, वस्तु (ब्रह्म) का अंतःकरण में लक्ष

  • जब तक सत्संगति नहीं होती तब तक नाना प्रकार के संदेह नहीं मिट सकते; क्योंकि

इन संदेहों के मिटाने की शक्ति संत लोगों ही में है। स-संगति करके साधक पुरुष आत्मा- नुभव, शास्त्रानुभव, गुरु-अनुभव-इन तीनों को एक ही सिद्ध करता है-अर्थात् अपना खुद का अनुभव; शास्त्रों का सिद्धान्त और गुरुद्वारा पाये हुए उपदेश-इन तीनों का अभ्यास करने पर अन्त में उसे इस बात का अनुभव हो जाता है कि ये तीनों एक ही हैं