पृष्ठ:दासबोध.pdf/२७४

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समास ७ 1 साधन का निश्चय । . और दृष्टान्त कुछ चलता ही नहीं ॥ १८॥ उसका स्मरण करते समय स्मरण को भूल जाना चाहिए; अथवा विस्मरण हो जाने पर भी उसका स्मरण रहना चाहिए और, उस परब्रह्म को, जान करके 'जानपन' को भूल जाना चाहिए ॥ १६ ॥ उससे न भेटते हुए भेट होती है और 'मिलने जाने से विछोह पड़ता है-ऐसी यह भूकावस्था की अद्भुत बात है ! ॥ २० ॥ वह साधने से सघता नहीं है, अथवा छोड़ने से छूटता नहीं है और, निरंतर जो उसका सम्बन्ध लगा है, वह टूट नहीं सकता ॥ २१ ॥ वह सदा बना ही रहता है, अथवा देखने से छिप जाता है और न देखने से जहां तहां-सर्वत्र-प्रकाश करता रहता है। ॥ २२ ॥ उसके तई उपाय ही अपाय (विघ्न ) है, और अपाय ही उपाय है-यह अनुभव-विना भला क्यों समझ पड़ने लगा ? ॥ २३ ॥ वह अनसमझे ही समझ पड़ता है, समझने पर भी कुछ नहीं समझ पड़ता । वह निवृत्ति- पद, वृत्ति छोड़ कर, प्राप्त करना चाहिये ॥ २४ ॥ जब वह ध्यान में नहीं श्रा सकता तव चिंतन में उसकी चिन्तना कैसे करें? वह परब्रह्म मन में नहीं समाता ॥ २५ ॥ यदि उसे जल की उपमा दें तो कैसे? क्योंकि वह निर्मल और निश्चल है। सारा विश्व उसमें डूबा हुआ है, परन्तु वह जगत् से अलिप्त ही बना है ! ॥ २६ ॥ वह प्रकाश-सरीखा भी नहीं है, अथवा अंधकार के समान भी नहीं है। अव उसे किसके समान बतावे ? ॥ २७ ॥ ऐसा वह ब्रह्म निरंजन है, कभी दृश्यमान नहीं होता। तब फिर उसका अनुसंधान किस प्रकार लगावें? ॥२८॥ पता लगाने से कुछ जान नहीं पड़ता, और मन सन्देह में पड़ता है ॥ २६ ॥ ऐसी दशा में . मन, घबड़ा कर, सत्य स्वरूप का प्रभाव मान लेता है (अर्थात् नास्तिक हो जाता है) और कहता है कि वह है ही नहीं, उसे क्या देखें-कहां जायें ! ॥ ३० ॥ फिर मन में आता है कि यदि वास्तव में उसका अभाव ही है तो फिर वेदशास्त्र क्या मिया है? परन्तु व्यास, आदि महर्पियों का कथन मिथ्या कैसे हो सकता है ? ॥३१॥ अतएव, उसे मिथ्या भी नहीं कह सकते । अनेक ज्ञानी महर्षियों ने जो ज्ञान के साधन बतलाये है वे मिथ्या कदापि नहीं हो सकते ! ॥३२॥ स्वयं महादेवजी ने 'गुरुगीता' में पार्वतीजी को अद्वैत ज्ञान का उपदेश किया है ॥ ३३॥ अवधूत (एक ज्ञानी तपस्वी ) ने जो 'अवधूत-गीता' गोरक्ष मुनि को बताई है उसमें भी ज्ञानमार्ग कहा है. ॥ ३४॥ स्वयं विष्णु ने, राजहंस का रूप धर कर, ब्रह्मा को जो.. उपदेश्स किया है वह ' हंसगीता' के नाम से प्रसिद्ध है ॥ ३५ ॥ ब्रह्मा ने, नारद को चतुःश्लोकी भागवत का उपदेश किया है। +