पृष्ठ:दासबोध.pdf/२८८

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1 समास १] परमात्मा का निश्चय । २०७ अस्तु । अब, यह बात यहीं छोड़ कर, आगे यह बतलाते हैं कि, जिस परमात्मा के लिए, लोग नाना प्रकार के साधन करते हैं वह किस तरह मिलता है, और परमात्मा कहते किसे हैं, तथा कैसे उसे जान सकते है:-॥ १५ ॥ १६ ॥ " जिसने यह सम्पूर्ण चराचर सृष्टि, तथा उसकी हलचल, उत्पन्न की है उसीको अविनाशी 'सर्व कर्ता परमेश्वर कहते हैं ॥१७॥ मेघमाला उसीने रची है; चन्द्रबिंब में अमृतकला उसीने दी है और रविमंडल को तेज उसीने प्रदान किया है ॥ १८॥ उसीकी मर्यादा से सागर स्थित है; शेप को उसीने किया है और सम्पूर्ण तारागण उसीकी करामात से आकाश में स्थित हैं ! ॥ १६ ॥ जारज़, उद्भिज, अंडज, और स्वेदज नामक चारों प्रकार के जीवों की खानियां; परा, पश्यन्ति, मध्यमा, वैखरी नामक चारों वाणी; तथा चौरासी लक्ष जीवयोनियां; किंबहुना तीनों लोक, जिसने रचे हैं वही परमात्मा है ॥ २० ॥ इसमें कोई शक नहीं कि ब्रह्मा, विषणु, महेश, इत्यादि सब उसीके अवतार हैं ॥ २१ ॥ घर का देवता उठ कर इन सब जीवों को नहीं बना सकता-उसके द्वारा यह ब्रह्मांड नहीं रचा जा सकता ॥२२॥ जगह जगह जो ये तमाम देवता रखे हैं उन्होंने भी यह सृष्टि नहीं रची है-चन्द्र, सूर्य, तारागण और मेघमंडल वे नहीं बना सकते ॥ २३ ॥ जिसने यह सब कुछ रचा है वही 'सर्वकर्ता,' परमेश्वर है। वास्तव में वह 'निराकार' है। उसकी कला, लीला और कौतुक ब्रह्मा, विष्णु, और महेश, इत्यादि देवता भी नहीं जानते ॥ २४ ॥ यहां पर यह आशंका उठी, कि जो 'निराकार है वह 'सर्वकर्ता' कैसे हो सकता है ? अस्तु । इस शंका का अगले समास में समा- धान किया गया है। यहां, प्रस्तुत विषय, सावधान होकर सुमियेः-॥२५॥ अवकाशरूपी जो खाली जगह है, जहां कुछ नहीं है, वही आकाश है। वह निर्मल है। उसीमें वायु का जन्म हुश्रा ॥ २६ ॥ वायु से अग्नि, और अग्नि से जल उत्पन्न हुआ । यह उसकी अघटित घटना तो देखिये! ॥ २७ ॥ जल से पृथ्वी हुई, जो निराधार स्थित है। ऐसी विचित्र कला करनेवाले का नाम 'देवता' है ॥२८॥परन्तु विवेकहीन पुरुप, उस 'देवता' की वनाई हुई पृथ्वी के पेट से जो पत्थर निकले हैं, उन्हींको देवता कहते हैं ! ॥२६॥ वे यह नहीं जानते कि, वह सृष्टि-निर्माण-कर्ता देवता' सृष्टि के पहले से ही हैं। यह उसकी सत्ता पीछे से विस्तृत हुई है ॥३०॥ जैसे कुम्हार अपनी कृति (घड़ा) के पहले से ही उपस्थित है, वैसे ही परमे- श्वर अपनी इस कृति (सृष्टि) के पूर्व से ही है। वह पत्थर कदापि नहीं है।