पृष्ठ:दासबोध.pdf/३८८

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समास ५] राजनैतिक दाव-पेंच। ३०७ देना चाहिए ॥ १०॥ किसी बात पर बहुत हट न करना चाहिए । नाना प्रकार के उपाय खोज निकालना चाहिए और जो कार्य न होता हो उसीको अपने दीर्घ प्रयत्न से सिद्ध करता चाहिए ॥ ११ ॥ समुदाय फूट न पड़ने देना चाहिए-कोई संकट का प्रसंग या पड़े तो उसे सम्हालना चाहिए और बहुत वाद-विवाद किसीसे न करना चाहिए ॥ १२ ॥ दूसरे का अभीष्ट जानना चाहिए, बहुतों का बहुत सहना चाहिए और न सहा जाय तो वहां न रहना चाहिए ॥ १३ ॥ दूसरे का दुःख जानना चाहिए और उसे दूर करने का प्रयत्न करना चाहिए तथा समुदाय की बुराई-भलाई सहने के लिए तैयार रहना चाहिए ॥ १४ ॥ अनेक गद्यपद्यमय वचन याद रहना चाहिए, विचार पास ही रहना चाहिए और सदा सर्वदा परोपकार में तत्पर रहना चाहिए ॥ १५॥ अपने में शान्ति लाकर औरों में शान्ति स्थापित करना चाहिए; अपनी हठ छोड़ कर दूसरे की हट छुड़ाना चाहिए और स्वयं कार्य करके औरों से कार्य करवाना चाहिए ॥ १६॥ यदि किसी के साथ अपाय (विन्न) करना हो तो उसे पहले ही से न कह डालना चाहिए; किन्तु अलग ही अलग उसे उस (विघ्न) का प्रत्यय (अनुभव) करा देना चाहिए ॥ १७॥ जो वहुतों की नहीं सहता उसे बहुत लोग नहीं मिलते; पर बहुत सहने से भी अपना महत्व नहीं रहता ॥१८॥ राजनैतिक दाव-पेंच बहुत करना चाहिए, पर सब गुप्त रखना चाहिए और दूसरों को कष्ट पहुँचाने की इच्छा न रखना चाहिए ॥ १६ ॥ लोगों को परख लेना चाहिए और राजनैतिक दांव-पेचों से उनका अभिमान गलित कर देना चाहिएं तथा किसी दूसरे ही सूत्र से (वाला बाला) उन्है फिर मिला लेना चाहिए ॥२०॥कच्चे आदमी को दूर रखना चाहिए, बदमाश से बात ही न करना चाहिए और यदि सम्बन्ध पड़ जाय तो बच कर निकल जाना चाहिए ॥ २१ ॥ अस्तु । इस प्रकार राजनैतिक दाव-पेंच यदि बतलाये जायँ तो बहुत हैं । स्थिरचित्त रहने से राज- नैतिक दाव पेंच अच्छी तरह मालम होते हैं ॥ २२ ॥ डरनेवाले को दिलासा देना चाहिए और सिर उठानेवाले को ललकारना चाहिए । इस प्रकार के अनेक राजनैतिक दाव-पेंच हैं जो बतलाये नहीं जा

  • यह सच है कि, बहुतों की सहने पर बहुत लोग मिलते हैं; पर वहुत सहनशीलता

दिखाने से भी, कभी कभी अपना महत्व कम हो जाने का डर रहता है; इस लिए प्रसंग देख कर चलना चाहिए।