पृष्ठ:दासबोध.pdf/४२२

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समास ५] सृष्टि की कहानी। के बाद उनके एक लड़को हुआ । वह लड़का अच्छा कार्यकर्ता और सब विषयों में चतुर था ॥ ४ ॥ कुछ दिनों के बाद उसके भी पुत्र हुआ, वह पिता से भी अधिक उद्योगी निकला । व्यापकता में अपने पिता से • आधा चतुरं हुआ ॥५॥ उसने वहुत बड़ा व्यवसाय फैलाया-बहुत कन्या पुत्र ( तमाम सृष्टि) पैदा किये और नाना प्रकार से बहुत लोग इकट्ठे किये ॥ ६ ॥ उसका जेठा लड़कों अज्ञान और क्रोधी हुआ; जरा सा भूलने से खूब संहार करने लगा ॥ ७ ॥ पिता (मूलपुरुष ) चुप ही बैठा रहा, लड़के (विष्णु) ने वहुत व्यवसाय किया; यह जेठा पुत्र सर्वज्ञ, चतुर और वहुत अच्छा हुआ ॥८॥ नाती (ब्रह्मा) उसका प्राधा जानता है, पनती (शंकर ) कुछ भी नहीं जानता है, भूलने पर संहार करता है और महा क्रोधी है ॥ ६॥ लड़का सब का पालन करता है, नाती बरा- वर वृद्धि करता है और पनती अकस्मात् , भूलने पर, संहार करता है ॥ १० ॥ इस प्रकार वंश बढ़ता है, वहुत ही विस्तार होता है और आनन्द के साथ बहुत समय व्यतीत होता है ॥ ११॥ अनन्त विस्तार वढ़ता है, वड़ों की कोई नहीं मानता, आपस में विरोध बढ़ता है ॥ १२ ॥ घर ही घर में बड़ा भारी झगड़ा मचता है; इससे बहुत संहार होता है, वड़ों बड़ों में बैर होता है, सब निरंकुश हो जाते हैं !" ॥ १३ ॥ इसके बाद, जैसे उन्मत्तता के कारण यादवों का नाश हुश्रा वैसे ही अज्ञानता के कारण उन सब का नाश हो जाता है॥१४॥सबसत्यानाश हो जाता है-कन्या, पुत्र, इत्यादि किसीका नाम-निशान भी नहीं बचता'! ॥ १५॥ इस कहानी का जो मनन करता है वह जन्म-मृत्यु से मुक्त हो जाता है। इसकी प्रतीति से श्रोता वक्ता दोनों धन्य होते हैं ॥१६॥ ऐसी विचित्र कहानी बहुत बार होती जाती है "-इतना कह कर वे गोस्वामी चुप हो जाते हैं ॥ १७॥ यह कहानी सब को अपने हृदय में रख कर बार बार मनन करना चाहिए ॥ १८ ॥ भूलते-बिसरते, संक्षिप्त रीति से, इतना बतलाया गया; न्यूनाधिक के लिए श्रोताओं को क्षमा करना चाहिए ॥ १६ ॥ जो पुरुष ऐसी कहानी विवेक से सदा सुनते हैं, 'दास कहता है कि, वे ही पुरुष जगत् का उद्धार करते हैं ॥२०॥ उस जगदुद्धार के लक्षणों का विवरण १ सत्वगुणात्मक चेतनरूप प्रतिपालक विष्णु । २ रजोगुणी चेतन-अचेतन-मिथित उत्पत्ति- कर्ता ब्रह्मा । ३ 'आधा चतुर' इस लिए कि ब्रह्मा में आधा भाग चेतन का और आधा अचेतन का है। ४ तमोगुणी अवेतनरूप संहारक महेश ।