पृष्ठ:दासबोध.pdf/४३२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

समास १०] उपदेश-निरूपण । की मालाएं, जालियां, चन्दोवे आदि सूत से ही गुंथे जाते हैं ॥२॥ सूत यदि न हो तो काम नहीं चल सकता । (इसी प्रकार आत्मा से सम्पूर्ण जगत् गुँथा हुअा है ) परन्तु यहां, आत्मा के लिए सूत का दृष्टान्त पूरा पूरा नहीं लगता ॥३॥ क्योंकि सूत तो गुरिया के बीच में ही रहता है और आत्मा सर्वांग में समानरूप से च्याप्त रहता है ॥४॥ इसके सिवाय आत्मा स्वाभाविक ही चपल है; और सूत जड़ निश्चल है! अतएव यह उपमा नहीं लगती ॥ ५ ॥ अस्तु । अनेक वेलियों में जल का भाग भरा रहता है, ईखों में भी रस भरा होता है; परन्तु रस और उनका वकला कुछ एक नहीं है ॥ ६ ॥ इसी प्रकार देही (आत्मा) और देह (अनात्मा) दोनों भिन्न भिन्न हैं-और इन दोनों से भिन्न निरंजन और निरुपम परमात्मा है ।। ७ ॥ राजा से लेकर रंक तक सब मनुष्य ही हैं; पर सब को एक ही समान कैसे कर सकते हैं ? ॥ ८॥ देव, दानव, मानव, नीच योनि, हीन जीव, पापी, सुकृती आदि बहुत से हैं ॥ ६ ॥ एक ही अंश से जगत् चलता है; पर सामर्थ्य सब का अलग अलग है। एक के साथ में मुक्ति मिलती है, एक के साथ से रौरव नरक मिलता है! ॥ १०॥ शक्कर और मिट्टी दोनों पृथ्वी के अंश हैं; पर मिट्टी नहीं खाई जा सकती; विप क्या जल नहीं है ? पर वह बुरी चीज है ॥ ११ ॥ पुण्यात्मा ' और 'पापात्मा' दोनों में 'आत्मा' लगा है-इसी तरह कोई साधु है, कोई भोंदू पर सब की मर्यादा अलग अलग है; वह छूट नहीं सकती है ॥ १२ ॥ यह बात सच है कि, सव का अंतरात्मा एक ही है; पर डोम साथ में नहीं लिया जा सकता। पंडित और लौंडे' एक कैसे हो सकते हैं ? ॥ १३ ॥ मनुष्य और गधे; राजहंस और मुर्गे; राजा लोग और बन्दर एक कैसे हो सकते हैं.? ॥ १४॥ भागीरथी का जल भी आप है, मोरी और गढ़े का पानी भी आप है; परन्तु मैला पानी थोड़ा भी नहीं पिया जा सकता ॥ १५॥ इस कारण पहले तो श्राचार- शुद्ध, फिर विचार-शुद्ध, वीतरागी और सुबुद्ध होना चाहिए ॥ १६ ॥ शूरों को छोड़ कर यदि डरपोकों की भरती की जाय तो युद्ध के अव- सर पर अवश्य हार होगी। श्रीमान् को छोड़ कर दरिद्री की सेवा करने से क्या हाल होगा? ॥ १७॥ यह सच है कि, एक ही पानी ले सब हुआ पर देख कर सेवन करना चाहिए; एक तरफ से सभी सेवन करना मूर्खता है ॥ १८ ॥ पानी से ही अन्न हुआ है और अन्न का वमन होता है। पर वमन का भोजन नहीं किया जा सकता ॥ १६ ॥ इसी प्रकार निन्दनीय बात छोड़ देना चाहिए और प्रशंसनीय वात हृदय में