पृष्ठ:दासबोध.pdf/४४४

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समास ४] कीर्तन-लन् । किलीके साथ छल न करना चाहिए; परन्तु यदि अपने साथ कोई छल करे तो सहन करना चाहिए ॥ ७ ॥ कीर्तन करते समय किसीकी व्यर्थ प्रशंसा न करना चाहिए, जो लोग जागृत रहते हैं चे पवित्र होते हैं। बड़े डौल के साथ जनरूप जनार्दन को-श्रोतागणरूपी ईश्वर को-सन्तुष्ट करना चाहिए ॥ ॥ जिस प्रकार प्यासा मनुप्य शीतल झरने के पास स्वयं जाता है वैसे ही प्रेमी श्रोता भगवत्कीर्तन में आते हैं ॥ ६॥ ऐसे श्रोताओं को बुलाने या उनके आने के लिए प्रयत्न करने, इत्यादि को आवश्यकता नहीं पड़ती ॥ १० ॥ कीर्तन करने में टालादली या बहाना न करना चाहिए और न लजित होना चाहिए ॥ ११ ॥ कीर्तन में विघ्न डालनेवाले दुष्टों को पास न आने देना चाहिए । बीच में झगड़ा न होने देना चाहिए क्योंकि इससे ज्यान भंग हो जाने का भय रहता है ॥१२॥ कीर्तन करते समय अभिमान में आकर भूल न जाना चाहिए ॥ १३ ॥ कीर्तन करते हुए, धीरे धीरे डोलते हुए, परमात्मा के प्रेम में नाचना चाहिए; बिलकुल स्तब्ध न रहना चाहिए ॥१४॥ सुन्दर रीति से नम्रता- - पूर्वक मधुर स्वर से गाना चाहिए ॥ १५ ॥ करताल, तम्बूरा, तानमान, तालबद्ध तंतुगान, आदि सुन कर बुद्धिमान् लोग तत्काल तन मन से तल्लीन हो जाते हैं ॥ १६ ॥ प्रेमी भक्तों का थिरक थिरक कर नाचना देख कर और उनका सुस्वर गान सुन कर सब लोग प्रसन्न होते हैं ॥ १७ ॥ दक्ष कीर्तनकार का कौशलयुक्त कथा-प्रबन्ध सुन कर श्रोतागणों का अन्तःकरण करुणा से भर आता है ॥१८॥ उसका कीर्तन सुनने के लिए चतुर पुरुप तुरन्त ही दौड़ आते हैं और उसकी बुद्धिविलक्षणता देख कर वे लोग दंग रह जाते हैं । इस प्रकार जमते जमते कीर्तन का रंग जम जाता है ॥ १६ ॥ नाना प्रकार के विद्वत्तापूर्ण हाव-भाव और कौतुक कीर्तन में बतलाना चाहिए ॥ २० ॥ कीर्तन ऐसा करना चाहिए कि, जिसके द्वारा पाप नाश हो जाय और पुण्य का प्रकाश हो; तथा श्रोता लोग बरावर उसका बखान करते रहें।॥ २१ ॥ कीर्तन में व्यर्थ न बोलना चाहिए और न किसीकी निन्दा करना चाहिए ॥ २२ ॥ उत्तम भक्तिपूर्ण कथा सुनने के लिए सभी लोग उत्साह से दौड़ते हैं ॥ २३ ॥ जो भक्ता परोपकार के व्रत से भूषित होता है उसकी सब प्रशंसा करते हैं ॥ २४॥ कीर्तनकार का उत्तम उपदेश मानना चाहिए, मोह में मत्त न होना चाहिए । अभिमान करने से हानि होती है ॥ २५ ॥ शिक्षापूर्ण वक्तृता सुनने के लिए आप ही आप लोग जमा हो जाते हैं-बुलाना नहीं पड़ता ॥ २६ ॥ राग-रंग-युक्ता, रसाल और सुग्दर रँगीले संगीत से श्रोताओं