पृष्ठ:दासबोध.pdf/४८८

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समास ४]] जल-स्तुति। १०६ पानी को अनेक भयंकर धाराएं फटी पड़ती हैं । उन्हींसे भरने, नदी, नाले भी उमड़ कर निकलते हैं ॥ ८॥ भूमंडल का जल कहां तक बत- ता? नाना प्रकार के फौवारों में भी पानी बांध कर लाया जाता है ॥ दत्तों, गढ़ों, कुडियो, कुंडों और नाना गिरिकंदरों में भी जल भरा होता है। अनेक लोकों में नाना प्रकार का जल है ॥ १० ॥ एक से एक बढ़ कर मक्षा पवित्र और पुण्यदायक तीर्थ हैं । शास्त्रकार उनकी अगाध महिमा कह गये हैं ॥ ११ ॥ नाना तीर्थों के पुण्योदक, नाना स्थलों के शीतलोदक और उसी तरह नाना उप्णोदक (खौलते हुए सोते) ठौर ठौर में भरे ॥ १२ ॥ नाना प्रकार की वेलों में पानी है, अनेक फूलों में पानी है और नाना कंदमूलों में पानी है-थे सब पानी गुणकारक !॥ १३॥ क्षारोदक, सिंधु-उदक, विपोदक और पीयूपोदक आदि नाना स्थलों में नाना गुणों से युक्त पानी हैं ॥ १४ ॥ नाना ईखों के रस, नाना फलों के नाना रस, नाना प्रकार के गोरस, मद, पारा और गुड़ के रस आदि सब उदक है ॥ १५ ॥ नाना सुक्ताफलों का पानी, नाना रनों -- का चमकता हुया पानी और नाना शस्त्रों का पानी-ये सब पानी नाना गुणयुक्त होते हैं ।। १६ ॥ वीर्य, रक्त, लार, मूत्र, स्वेद, श्रादि उदकों के नाना भेद हैं, विचार कर-देखने से स्पष्ट मालूम हो जाते हैं ॥ १७ ॥ देह भी उदक ही का है, उदक का ही भूमंडल है, चन्द्रमंडल और सूर्यमंडल भी उदक ही ले हैं ॥ १८ ॥ क्षारसिंधु, क्षीरसिंधु, सुरासिंधु, घृतसिंधु, दधिसिंधु, इक्षुरससिंधु और शुद्धोदकसिंधु के रूप में भी जल विस्तृत हुआ है ॥ १६ ॥ इस प्रकार आदि से लेकर अन्त तक पानी फैला हुआ है, और वीच में भी कहीं कहीं प्रगट है और कहीं कहीं गुप्त है ॥ २० ॥ पानी जिन बीजों में मिश्रित हुआ है उन्हींका स्वाद लेकर प्रगट हुआ है। जैसे ईख में परम सुन्दर मीठा स्वाद लेकर प्रगट हुआ है ॥.२१ ॥ यह शरीर उदक से ही वना है और सदा इसे उदक ही चाहिए। उदक की उत्पत्ति का विस्तार कहां तक बता ? ॥ २२॥ उदक तारक है, उदक मारक है, उदक नाना सुखों का दायक है। विचार करने से वह अलौकिक जान पड़ता है ॥ २३ ॥ पानी पृथ्वीतल पर दौड़ता रहता है। उससे नाना प्रकार की सुन्दर ध्वनि निकलती है। बड़ी बड़ी धाराएं हहर हहर' गिरती हैं ॥ २४ ॥ ठौर और मैं दह उमड़ते रहते हैं, बड़े बड़े तालाब भरे रहते हैं और नदी-नाले थवयवाते हुए बहते रहते हैं ॥ २५ ॥ कहीं गुप्त गंगा बहती है; सब जगह पानी मौजूद है। कहीं कहीं भूगर्भ में खड़खड़ाते हुए झरने बहते हैं ॥ २६ ॥ भूगर्भ में दह भरे हुए 6