पृष्ठ:दासबोध.pdf/५०८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

समास ४] संशय मिटायो। ४२६ लाता है; किन्तु अलग अलग रूप स्पष्ट करके बतला नहीं सकता ॥ १३ ॥ इस प्रकार जो स्वयं व्यर्थ के लिए मायाजाल में पड़ा रहता है वह दूसरों को कैले बोध कर सकता है ? नाना प्रकार के निश्चय करने से-अधिर निश्चय करने से व्यर्थ के झगड़े बढ़ते जाते हैं ॥ १४ ॥ भ्रम को परब्रह्म और परब्रह्म को भ्रम बतलाता है-इस प्रकार यह अपने ज्ञातापन का ढोंग प्रकट करता है! ॥ १५ ॥ शास्त्रों का प्राधार बतलाता है, बिना अनुभव के निरूपण करता है। पूछने पर व्यर्थ के लिए बहुत नाराज होता है ॥ १६ ॥ जो झाता होकर पदार्थ की अपेक्षा करता है-निस्पृह नहीं है-वह विचारा क्या बतलायेगा? सारासार का निश्चय होना चाहिए ॥ १७॥ वैद्य मात्रा की प्रशंसा तो करता है; पर माना गुण कुछ भी नहीं दिखलाती- यही हाल, प्रतीति विना ज्ञान का है॥ १८॥ जहां सारासार का विचार नहीं है वहां सारा अंधकार ही है, वहां नाना प्रकार की परीक्षाओं का विचार नहीं हो सकता ॥ १६ ॥ वह पाप-पुण्य, स्वर्ग-नर्क, विवेक-अवि-. घेक सब को 'सनब्रह्म' कहता है ! ॥ २० ॥ वह पतित और पाचन तथा निश्चय और अनुमान को भी ब्रह्मरूप मानता है! ॥ २१ ॥ जहां सारा ब्रह्म- रूप ही है वहां उससे अलग क्या निकाले ? जहां सारी शक्कर है वहां अलग क्या निकालें ॥२२॥इसी प्रकार जहांसार और प्रसार का एकाकार हो जाता है वहां अविचार प्रबल होता है और विचार का नाम भी नहीं रहता ॥ २३ ॥ जहां वंद्य और निंद्य एक हो जाता है वहां क्या हाथ आता है? जो नशे की चीज सेवन करके पागल बन बैठता है वह ऊलजलूल बकता ही है ॥ २४ ॥ इसी प्रकार वह अज्ञानरूप भ्रम से भूला हुश्रा है 'सर्वब्रह्म' कह कर ही निश्चिन्त बैठा है और महापापी तथा सत्पुरुप दोनों को एक ही सा मानता है ! ॥२५॥ सर्वसंग-परित्याग और मनमाना विषयभोग-ये दोनों यदि एक ही माने जायँ तो फिर बच क्या रहा ? ॥ २६ ॥ भेद तो ईश्वर ही,ने कर रखा है-अब वह उसके (उप- र्युक्त अशानी के) वाप से भी मिटाया नहीं जा सकता । ईश्वर-नियम के विरुद्ध कोई कर कैसे सकता है ? मुख में डालने का कौर अपानद्वार में डालो। ॥ २७ ॥ जिन इन्द्रियों के लिए जो भोग कहा है वह सांगो- पांग भोगती हैं यह सारा जग ईश्वर रचित है-उसके नियम मोड़े नहीं जा सकते ॥ २८ ॥ ये सारी भ्रान्ति की भूलभुलैयां हैं, विना प्रतीति के सारी बात मिथ्या है। जिस पर पागलपन सवार होता है वह ऊटपटांग वकता ही है ॥२६॥ इस लिए जो सावधान और अनुभवी ज्ञाता है उसका .